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नेहा भाभी

“मेरे प्यारे देवरजी आ गए! देखो तो कितने लम्बे हो गए हो तुम!”, मेरी प्यारी नेहा भाभी ने मेरे आते ही मुझे गले लगा लिया| और मैं भी अपनी खुबसूरत भाभी को देखते ही उनसे गले लिपट गया| नेहा भाभी बेहद ही सुन्दर थी, वैसी ही जिनके बारे में लोग सपने देख कर न जाने कैसी कैसी कहानियां लिखते है| सुन्दर चेहरा, दुबला पतला छरहरा बदन, भरे हुए स्तन, लम्बे बाल, कोई भी कमी न थी उनमे| वो आज हरी रंग की साड़ी पहनी हुई थी, जिसमे भूरे रंग की बॉर्डर थी| उनके छोटे आस्तीन वाले मैचिंग ब्लाउज में उनकी काया तो बस मंत्र-मुग्ध कर रही थी| उनके मुलायम स्तन गले लगाने पर जिस तरह मेरे सीने पे महसूस हो रहे थे, उन्हें छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था| पर मेरी भाभी थी वो! और मुझे उनका सम्मान करना चाहिए|
मैं १०वी की परीक्षा के बाद गर्मी की छुट्टी बीताने तनुज भैया और नेहा भाभी के घर अभी अभी पहुंचा था| तनुज भैया मुझे  स्टेशन लेने आये थे| मुझे उनके यहाँ छुट्टी बीताना बड़ा पसंद था| आखिर नेहा भाभी मुझे इतना प्यार जो देती थी| भैया और भाभी की शादी को २ साल ही हुए थे और उन दोनों में अब भी नए शादीशुदा दंपत्ति वाली चमक थी| कोई भी मेरी भाभी को देख ले तो उनको तुरंत यकीन हो जाए कि मेरे भैया कितने भाग्यशाली थे| कहने को तो नेहा भाभी हाउसवाइफ थी, पर बेहद ही मॉडर्न विचारोवाली थी वह| वो चाहे साड़ी पहने या फिर स्कर्ट, सभी में वो मॉडर्न लगती थी| अंग्रेजी भी फर्राटे से बोल लेती थी वो| भाभी के बारे में मुझे मेरे मन में उलटे सीधे विचार नहीं लाने चाहिए पर वो है ही इतनी आकर्षक| और उनके गले लगाने के बाद उनके मुलायम स्तनों को अपने सीने से महसूस करने के बाद तो मन में ऐसे विचार आना स्वाभाविक था| मुझे जीवन में और भी औरतों ने गले लगाया है, पर नेहा भाभी मुझसे ज्यादा करीब से गले मिलती थी| मैं यह नहीं कह रहा कि उनका मुझमे किसी गलत तरह का इंटरेस्ट था| बल्कि सच तो यह था कि नेहा भाभी मेरी काफी अच्छी दोस्त थी| फ़ोन पर ही सही पर उनसे अपने दिल की बहुत सी बातें आसानी से कह सकता था मैं| खुले दिल से वो मेरी बातें सुनती और अपनी भी बातें कहती| शायद इसलिए उन्होंने मुझे इतने प्यार से बेफिक्र हो कर गले लगाया था| और मैं था जो उनके कोमल बदन के बारे में सोच रहा था| मुझे खुद पर थोड़ी शर्म महसूस होने लगी| वो अब भी मेरा हाथ पकड़ कर ख़ुशी से मेरी ओर देख रही थी|



“तनुज, आज तुम  घर जल्दी आ जाना| देवर जी के साथ कहीं बाहर खाना खाने जायेंगा आज|”, भाभी ने भैया से कहा| “हाँ हाँ, मैडम! तुम्हारे देवर के साथ साथ वो मेरा भाई भी है| मैं जल्दी आऊँगा|”, भैया ने कहा| भाभी अब भी ख़ुशी से मेरा हाथ पकड़ी हुई थी| फिर भैया भाभी ने एक दुसरे को गले लगाया और भैया को ऑफिस के लिए विदा किया| दोनों में बेहद प्यार है, ऐसा साफ़ झलकता था| भैया ऑफिस के लिए निकल गए|
नेहा भाभी मेरा हाथ पकड़ कर उत्साह के साथ मुझे अन्दर लेकर आई जहाँ टेबल पर मेरे लिए नाश्ता तैयार लगा हुआ था| उन्होंने मुझे बैठाया और खुद सामने बैठ गयी| “अनुज देवरजी, पेट भर कर नाश्ता कर लो, खाना खाने में समय है अभी|”, नेहा भाभी ने अपने सीने पर सरकती हुई साड़ी से अपने ब्लाउज को ढंकते हुए मुझसे बोली| और फिर बड़ी ख़ुशी से मेरी ओर देखने लगी| “भाभी, आप मुझे अनुज बोलो न| देवर जी बहुत भारी सा लग रहा है|”, मैंने कहा|
मेरी बात सुनकर वो हंस दी| फिर डाइनिंग टेबल की कुर्सी से पीछे टिकते हुए उन्होंने अपने दाहिने पैर को बांये पैर पर रख कर उन्होंने अपनी साड़ी की प्लेट सुधारी|और फिर घुटनों पर अपने दोनों हाथ रखते हुए मुझसे बोली, “हाँ तो अनुज, सबसे पहले तो मुझे ये बताओ कि प्रिया कैसी है? उससे बात कुछ आगे बढ़ी या नहीं?”



मेरा ध्यान तो उनके हाथो पर लगी नेल पोलिश पर था| कितने सुन्दर नाज़ुक से हाथ लग रहे थे उनके| फिर भी मैंने उनके सवाल का जवाब देने का प्रयास किया| प्रिया मेरी क्लास में पढने वाली लड़की थी| मुझे बहुत पसंद थी पर मैं उससे कभी बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था| भाभी से उसके बारे में बात करने के बाद मैंने प्रिया से कुछ बात करने की शुरुआत किया था|
“कहाँ भाभी| अभी तो बस थोड़ी ही बात हुई है| उसे तो पता भी नहीं कि मेरे दिल में क्या है|”, मैंने कहा| “अरे! तुम कहोगे नहीं तो उसे पता कैसे चलेगा? तुम यूँ ही रहोगे तो मुझे कभी देवरानी का सुख नहीं मिलेगा!”, भाभी ने बड़े ही नाटकीय अंदाज़ में कहा| “भाभी, आपको पता है न कि मैं अभी सिर्फ १५ साल का हूँ! आपको देवरानी का सुख बहुत सालो तक नहीं मिलने वाला है|”, मैंने मज़ाक में उनसे कहा| “हाँ हाँ! पता है मुझे पर बात अभी से पक्की कर लोगे तो बाद में आसानी होगी|”, भाभी ने कहा| मैं भी मुस्कुरा दिया| पर इस वक़्त मेरे दिमाग में प्रिया से ज्यादा भाभी थी| उस पोल्का डॉट वाली साड़ी में  वो सचमुच कमाल लग रही थी| उनका पल्लू कंधे से लटक कर फर्श तक जा रहा था| मेरे मन में तो विचार आया कि उस पल्लू को अपने हाथो से उठाकर उनकी गोद में रख दू| उनके हाथों में लगी मैरून रंग की नैल्पोलिश बड़ी सेक्सी लग रही थी| दिल में हसरत जाग गयी कि काश वो अपने हाथो से मेरे चेहरे को छू ले|
तभी भाभी उठ खड़ी हुई और उन्होंने प्यार से मेरे सर पर अपना हाथ फेरा| भाभी मेरे दिल की बात कहीं सुन तो नहीं रही? मेरे बालो को छूकर वो बोली, “अनुज तुम नाश्ता करो, मैं ज़रा मशीन में कपडे धोने लगाकर आती हूँ|” ऐसा कहकर भाभी दुसरे कमरे में जाने लगी| जाते हुए उनकी लहराती हुई कमर देख कर तो मेरा मन कुछ बेकाबू सा हो रहा था| हाय! उस साड़ी और ब्लाउज में कितनी दमक रही थी वो| पर मन में काबू करते हुए मैंने नाश्ता किया|
नाश्ते के बाद मैं बाहर के कमरे में सोफे पर आकर बैठ गया| अपना फ़ोन निकाल कर मैं कुछ मेसेज करने लगा| तभी भाभी वापस आ गयी और धम्म से मेरी बगल में आकर सोफे पर पालती मार कर बैठ गयी| उनको अपने इतने  करीब पाकर मैं थोडा सा संकुचा गया| उनके पैर मेरी जांघो को छू रहे थे और उनकी साड़ी का पल्लू मेरी गोद पर था| मुझे अन्दर से कुछ कुछ हो रहा था| मेरी ऐसी कोई इच्छा नहीं थी पर तन पर काबू न था मेरा| भाभी अब मेरे और करीब आ गयी| उनकी बाँहें मेरी बांहों को अब स्पर्श कर रही थी| भाभी मेरे साथ हमेशा से ही ऐसी थी| हम दोनों में काफी अच्छी दोस्ती थी| हम सभी तरह की बातें किया करते थे| कभी भाभी का भैया से झगडा हो जाए तो वो मुझे तुरंत फ़ोन लगाती थी| वो कहती थी कि भैया और मैं एक ही तरह के है| इसलिए मुझसे बात करके उन्हें समझ आ जाता था कि भैया को कैसे मनाया जाए| मुझे तो यकीन नहीं होता था कि भैया मेरी तरह हो सकते है|  क्योंकि भैया मेरे प्रति काफी स्ट्रिक्ट थे, बस पढाई और काम की ही बाते करते थे| पर भाभी और मेरे बीच की यही दोस्ती थी, शायद  जिसकी वजह से हमारे बीच शारीरिक दूरी बहुत नहीं होती थी| भाभी मुझे निसंकोच कभी भी कहीं भी छू लेती थी| उन्हें शायद ध्यान भी न होता था की उनके शरीर के अंगो का स्पर्श पाकर मेरा क्या हाल होता है| कभी कभी तो लगता था कि भाभी मुझे अपना देवर कम सहेली ज्यादा समझती थी|
“अनुज जी, मुझे ज़रा प्रिया की तस्वीर तो दिखाओ|”, भाभी ने अपनी कुहनी से मुझे छेड़ते हुए कहा| “भाभी! मेरे पास प्रिया की कोई तस्वीर नहीं है!”, मैंने भी अपने हाथ से उनके हाथो को पीछे धकेलते हुए कहा| इस दौरान मेरी कुहनी उनके स्तन से लग कर दबा गयी| मैं तो उनके स्तनों को स्पर्श पाकर शर्मा गया पर भाभी को कोई फर्क न पड़ा| वो तो मेरे और पास आ गयी| उनका चेहरा मेरे चेहरे के बिलकुल बगल में था और उनके स्तन मेरी बांहों से दब रहे थे|  वो बोली, “अरे ! अब झूठ न बोलो अनुज| फेसबुक पे तो तुम्हारी दोस्त होगी वो| अब तुम दिखाते हो या मैं ही तुम्हारे फ़ोन से देख लू|”
मैंने आखिर उन्हें अपने फ़ोन पर प्रिया की फोटो दिखा ही दी| “हाय कितनी सुन्दर लड़की है! तुम दोनों की जोड़ी बहुत सही लगेगी| मेरा तो दिल कर रहा है कि अभी जाकर तुम्हारी शादी की बात शुरू कर दू!”, भाभी बड़े उत्साह से मेरे हाथो से फ़ोन छिनकर फोटो देखते हुए बोली|
“भाभी! शादी? अभी से? बात तो होने दो पहले!”, मैंने जवाब दिया| “ठीक है बाबा कॉलेज के बाद शादी कर लेना| पर जो भी कहो लड़की बहुत सुन्दर है!”, भाभी ने कहा| वो अपनी कातिल निगाहों से मेरी ओर देखने लगी|
मैं शरमाते हुए उनसे बोला, “भाभी पर आपसे सुन्दर तो कोई नहीं हो सकती!” मैं सोच रहा था कि मैंने ऐसे कैसे कह दिया, भाभी कहीं गलत मतलब न निकाल ले मेरी बात का| पर मेरी नज़रो में भाभी सचमुच सबसे सुन्दर थी| भाभी नाराज़ न हो जाए| मैं मन ही मन भगवान से प्रार्थना करने लगा|
पर गुस्सा होने की बजाये भाभी ने मुझे गले लगा लिया| अब तो उनके दोनों स्तन मेरी बाहों को दबा रहे थे| उफ्फ कितने मुलायम थे वो| और उनकी बाँहें मेरे गले पर थी| उनकी कलाइयों की अनगिनत चूड़ियाँ मेरे चेहरे के सामने खनक रही थी| अब तो मुझसे रहा नहीं जाएगा, मैंने सोचा| उनके भरे हुए होंठ भी आँखों के सामने ही दिख रहे थे| पर कुछ ही सेकंड में वह खुद ही पीछे हो गयी और उन्होंने मुझसे कुछ देर कमरे में आराम करने को कहा|
मैं अब दुसरे कमरे में आ गया था जहाँ मेरे ठहरने का इन्तेजाम था| मुझे यहाँ आराम करना था पर भाभी का स्पर्श ऐसे कैसे भूल सकता था मैं| ऊपर से कमरे में भाभी की बड़ी बड़ी तसवीरें लगी हुई थी| मेरी आँखों में नींद न थी| दिल में बस एक ही बात चल रही थी| क्या भाभी से आज मैं वो बात कर ही लू जो न जाने कब से मेरे मन में है? जबसे भाभी से दोस्ती हुई है, दिल यही कहता रहा है कि भाभी से बोल ही दू| शायद भाभी मेरी बात समझ कर बुरा भी नहीं मानेगी| पर उन्होंने भैया से कह दिया तो? मुझे भैया से बड़ा डर लगता है| मेरी एक बात की वजह से हमारे रिश्ते हमेशा के लिए खत्म न हो जाए कहीं| कमरे में कुछ देर बिस्तर पर उलट पलट कर मैं उठ खड़ा हुआ| मैंने सोचा कुछ देर भाभी से ही बात कर ली जाए|
मैं भाभी के कमरे की ओर बढ़ा| अन्दर झाँककर देखा तो भाभी आईने के सामने शायद तैयार हो रही थी| उनके लम्बे बाल खुले हुए थे| उन्होंने अपने बालो को एक तरफ किया और फिर अपनी साड़ी के पल्लू पर पिन लगाने लगी| उनकी नग्न पीठ अब साफ़ दिख रही थी| उनका ब्लाउज पारदर्शी था जिसमे उनकी सफ़ेद ब्रा साफ़ झलक रही थी| मुझे लगा अनजाने में ही सही शायद मैं कुछ गलत कर रहा हूँ| उनका तन मुझे उतावला कर रहा था और मैं अपने मन को काबू करने की कोशिश कर रहा था| भाभी ने तभी टेबल से एक पिन उठाई और अपनी साड़ी में कमर के निचे प्लेट पर लगायी| मुझे जल्दी ही कुछ कहना होगा, मैंने सोचा| भाभी अपने में मशगूल थी| उन्होंने टेबल से एक छोटा सा पर्स उठाया और कंधे पर पल्लू को सरकाती हुई बस पलट ही रही थी तब मैंने हिम्मत करके कहा, “भाभी आप कहीं जा रही हो?”



मुझे लगा की मुझे अचानक सामने देख कर भाभी डर न जाए| पर वो निश्चिन्त होकर बोली, “मैं सोच ही रही थी कि तुम वहां खड़े ही रहोगे या कुछ बोलोगे भी! बहुत शर्माते हो तुम, अनुज|” फिर थोडा नैन मटकाते हुए वह बोली, “सोच रही थी कि तुम्हे मॉल घुमाने ले जाऊं| क्योंकि तुम्हे तो कमरे में नींद नहीं आ रही थी| और फिर मॉल में ही तुम्हे खाना भी खिला देती| अब बताओ मैं ठीक लग रही हूँ न इस साड़ी में या मुझे बदलने की ज़रुरत है?”
मैं तो उन्हें बस देखते ही रह गया| उन्होंने अब भी वही साड़ी पहनी हुई थी पर खुले बालो में और भी कमाल लग रही थी भाभी| उनकी उम्र २३ साल की थी और उनकी जवानी खिल कर दिखती थी| मेरे सामने भाभी कुछ ज्यादा ही सहज थी| और उनकी यही सहजता मुझे उतावला करती रहती थी| मैं मन ही मन सोच रहा था कि भाभी से मिलने से बेहतर तो उनसे फ़ोन पर बात करना है| उनका मादक बदन देखते हुए तो मैं कभी उनसे अपने दिल की बात ही नहीं कर सकूंगा| न चाहते हुए भी मेरा ध्यान उनके स्तनों और सफ़ेद ब्रा पर जा रहा था| और मेरी पेंट में भी हलचल होने लगी थी|
“आप बहुत अच्छे लग रहे हो भाभी”, काफी देर के बाद मैंने उन्हें जवाब दे ही दिया|
भाभी ने मेरी ओर देखा| फिर पर्स को बिस्तर पर फेंकते हुए वो बैठ गयी| उन्होंने मुझे पास बुलाते हुए कहा, “क्या बात है अनुज? तुम मुझसे कुछ कहना चाहते हो?”
मैं वहीँ खड़ा रहा| मन ही मन सोच रहा था कि यही मौका है भाभी से दिल की बात करने का| पर न ज़बान ने साथ दिया और न ही मेरे कदम आगे बढे| भाभी ने मुझे फिर हाथो से इशारा करके बुलाया| मैं धीरे धीरे चलकर उनकी बगल में आकर बैठ गया| “बोलो क्या कहना चाहते हो|”, भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया| उनके मुलायम हाथो को स्पर्श मेरे लिए कुछ कहना और मुश्किल कर रहा था| मेरी नज़रे उठ नहीं पा रही थी| उठ कर बस उनकी गहरी साँसों से ऊपर निचे होते स्तनों तक जाकर रुक जाती| भाभी मेरे जवाब का सब्र के साथ इंतज़ार कर रही थी|

n5
नेहा भाभी थी ही इतनी आकर्षक| मैं भी उन्ही की तरह दिखना चाहता था!

आखिर मैंने कह ही दिया, “भाभी मैं आपकी तरह दिखना चाहता हूँ!” मैंने भाभी से ज्यादा और कुछ न कहा| मैं जानता था कि मैं क्रॉस-ड्रेसर हूँ और मैं भाभी की तरह ही आकर्षक महिला बनना चाहता था| उनकी साड़ियाँ, उनके ड्रेस्सेस, उनकी स्कर्ट्स, उनकी तरह के कपडे पहन कर इठलाना चाहता था| और इस दुनिया में भाभी की तरह कोई और करीब नहीं था मेरे, जिससे मैं यह बात कह सकू| पर मैं सिर्फ इतना ही कह सका, “मैं आपकी तरह दिखना चाहता हूँ”| इसके बाद मुझे लगा कि भाभी मुझसे बहुत सवाल करेगी इस बारे में पर वो कुछ न बोली| न जाने वो ५ सेकंड थे या १५ मिनट, पर वो पल अनंत काल सा प्रतीत हो रहा था| मैं बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था कि भाभी कुछ बोले| चिंता में मेरे तन की कामुक हलचल भी ख़तम हो गयी थी|
“तुम साड़ी पहनोगे या ड्रेस?”, भाभी के मुंह से यह सवाल सुनकर मैं भौचक रह गया| मैंने आखिर सर उठा कर उनकी ओर देखा| उनके चेहरे पर अब भी पहले की तरह वही सहजता थी| मैं कुछ बोल न सका| “अब इतना भी क्या शर्माना? बता भी दो साड़ी पहनोगी या ड्रेस?”, भाभी ने फिर से सवाल पूछा| “जी साड़ी”, मैंने धीमी आवाज़ में जवाब दिया| भाभी उठ खड़ी हुई| वो नाराज़ तो नहीं दिख रही थी| उठ कर भाभी अपनी अलमारी की ओर गयी| उन्होंने अलमारी खोली और मेरी तरफ पलट कर बोली, “तुम अपनी साड़ी खुद चुनोगी या मैं ही तुम्हारे लिए कुछ निकाल दू, ननंद जी?” ऐसा कहते ही भाभी प्यार से मुस्कुरा कर मेरी ओर देखने लगी| उन्होंने अपनी बाँहें खोल ली|
मैं तुरंत उठ कर ख़ुशी के मारे भाभी की बांहों में उनसे गले लिपट गया| “आप जो चुनेंगी मुझे पसंद आएगा|”, मैंने भाभी से कहा| वैसे भी मेरे लिए उनकी अनगिनत सुन्दर साड़ियों में एक साड़ी का चुनाव करना बेहद मुश्किल काम लगता| भाभी ने फिर मेरी दोनों बांहों को अपने हाथो से पकड़ा और मेरी आँखों में देख कर बोली, “अच्छा हुआ मेरी ननंद भी मेरी तरह दुबली पतली है| तुम पर मेरे सारे ब्लाउज फिट आयेंगे|” मैंने शर्मा कर अपनी आँखें निचे झुका ली| “लो जी, मेरी ननंद तो बहुत शर्माती है|”, भाभी ने नैन मटकाते हुए कहा|
नेहा भाभी ने अलमारी से एक हलकी गुलाबी रंग की साड़ी और मैचिंग ब्लाउज निकाल लायी| और साथ ही में एक लम्बे बालो का विग और ब्रैस्टफॉर्म नकली स्तनों के लिए| मैं आश्चर्यचकित था कि भाभी के पास यह चीज़े क्या कर रही है| क्या भाभी को पहले से अंदेशा था कि मैं एक क्रॉस-ड्रेसर हूँ? मेरी भाभी से कुछ पूछने की हिम्मत न हुई| पता नहीं भाभी के अलावा और कौन कौन जानता था मेरे बारे में? जबकि मैंने आजतक कभी किसी स्त्री के कपडे नहीं पहने थे और इन्टरनेट पर भी छुप छुप कर ही अपने इस शौक के बारे में पढता था|
“अनु! हाँ ये नाम ठीक रहेगा मेरी ननंद के लिए!”, भाभी मेरी तरफ देख कर बोली| मुझे भी नाम अच्छा लगा| “अनु, तुम पेटीकोट पहले खुद पहन कर आ जाओ| फिर मैं अपनी प्यारी ननंद को खुद अपने हाथो से तैयार करूंगी|”
मैं मारे ख़ुशी के झट से बाथरूम में कपडे उतार कर पेटीकोट पहन कर आ गयी| जीवन में पहली बार मैं औरत के कपडे पहनने वाली थी| बाहर आई तो भाभी ने मुझे पहले प्यार से ब्रा पहना कर पीछे हुक लगाया| और फिर उसमे ब्रैस्टफॉर्म भी भर दिए| छूने में ब्रैस्टफॉर्म बिलकुल असली स्तनों की तरह मुलायम थे| ब्रा का कसाव पहली बार अपने सीने पर महसूस कर रही थी मैं| लगने लगा जैसे मैं पूरी तरह से औरत बन चुकी हूँ पर अब भी बहुत कुछ करना बाकी था| मैं औरत बन रही थी और मुझे एक दूसरी औरत तैयार कर रही थी| सोच कर ही मेरा मन ख़ुशी से झूम रहा था| भाभी भी मेरे चेहरे की ख़ुशी देख सकती थी| फिर भाभी ने मुझे ब्लाउज  पहनने को दिया| मेरी बांहों में ब्लाउज की आस्तीन बिलकुल टाइट फिट आई| ऐसा कसाव तो कभी नहीं महसूस की थी मैं| वो ब्लाउज तो जैसे मेरे शरीर का हिस्सा बन गया था| फिर एक एक करके मैंने अपने स्तनों के ऊपर ब्लाउज के हुक लगायी| एक बार फिर लगा कि औरत बनने का सुख मुझे मिल ही गया| इसके बाद भाभी ने मुझे साड़ी पहनाना शुरू किया| एक बार मेरी कमर के चारो ओर लपेट कर उन्होंने साड़ी में चुन्नट/प्लेट बनायीं और पिन से मेरी कमर में ठोंस दी| साड़ी की चुन्नट का वजन मेरी कमर से निचे मुझे खिंच रहा था| मैं खड़े खड़े जैसे स्वर्ग पहुँच गयी थी वहीँ भाभी प्यार से साड़ी के पल्लू को नाप कर मेरे कंधे पर पिन कर रही थी|
जब साड़ी मेरे ब्लाउज के ऊपर से लिपट कर मुझ से एक हो गई तो ऐसे लगा मेरा सालो का सपना आज सच हो गया| सच कहूं तो मैं तो इतने से ही खुश थी| मुझे और किसी चीज़ की आवश्यकता नहीं थी| पर भाभी मुझे एक पूर्ण औरत बनाना चाहती थी| भाभी ने मुझे चूड़ियां पहनाई| चूड़ियों के साथ मेरी कलाई किसी औरत की तरह नाज़ुक लगने लगी| उन्होंने फिर मेरा मेकअप किया और नेल पोलिश भी लगायी, वही नेल पोलिश जो खुद भाभी ने भी लगे हुई थी| और फिर मेकअप के बाद भाभी ने मुझे विग पहनाया| विग बिलकुल असली घने रेशमी बालों की तरह था| उन बालों को छूकर तो मैं उत्तेजना में सिहर गयी थी| आखिर में भाभी मुझे पकड़ कर आईने के सामने ले गयी| खुद को जब मैंने देखा तो आईने में अनुज नहीं अनु खड़ी थी, एक बेहद सुन्दर लड़की| और उसके बाजू में खड़ी थी उसकी प्यारी नेहा भाभी| मेरी आँखों में ख़ुशी के आंसूं आ गए थे| इस पूरे तैयार होने के दौरान मैं नेहा भाभी के साथ किसी लड़की की तरह ही चहक कर बात कर रही थी पर खुद को देखने से पहले मुझे एहसास नहीं था कि मैं इतनी खुबसूरत लड़की बनूंगी| मैंने भाभी को गले लगा लिया| हम दोनों के स्तन एक दुसरे को दबा रहे थे| पर अब मन में कामोत्तेजना नहीं थी, बल्कि प्यारी नेहा भाभी के लिए उसकी ननंद अनु का स्त्री वाला प्यार भरा हुआ था|
“किसी की नज़र न लगे मेरी प्यारी ननंद को”, ऐसा कहकर भाभी ने मेरे माथे पर एक लाल बिंदी लगा दी| अब मैं मुस्कुराती हुई पूर्ण औरत बन गयी थी| मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि नेहा भाभी ने इस तरह मुझसे बिना सवाल जवाब किये अनु को स्वीकार कर लिया था| और मैं थी की यूँ ही डरी हुई थी इस बात को बताने से|

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नेहा भाभी की गुलाबी साड़ी पहन कर मैं पूरी तरह औरत बन चुकी थी| भाभी ने आखिर मुझे अनुज से अनु बना ही दिया था|

“अनु, कितनी सुन्दर लग रही हो तुम! पर मेरी प्यारी ननंद जी, देखो अब ऐसे तो हम बाहर मॉल खाना खाने नहीं जा सकेंगे| तुम्हे अभी भी बहुत कुछ सीखना है औरत बनने के बारे में, एक औरत की चाल और रंग-ढंग सीखने में थोडा समय लगेगा| तो क्यों न अभी हम घर में ही खाना बना ले?”, भाभी ने कहा|
“ज़रूर भाभी! मैं भी आपकी मदद करूंगी|”, मैं ख़ुशी से बोली| “मदद? अरे पगली, पूरा खाना तुम ही बनाओगी!”, भाभी बोली|
“पर भाभी मैं कभी खाना नहीं बनायीं हूँ|”, मैंने कहा| “धत पगली! मैं हूँ न सिखाने के लिए| और सबसे पहली सीख यह है की खाना बनाते वक़्त पल्लू को ऐसे खुला नहीं रखते|”, भाभी ने मेरी साड़ी के पल्लू को कंधे पर उठाकर उसका एक हिस्सा मेरी कमर में ठूंसते हुए बोली| और फिर उन्होंने मेरे बालो का जूडा भी बना दिया|
हम ननंद भाभी किचन में खाना बनाने में मशगूल हो गए| भाभी मेरी पहले से ही अच्छी दोस्त थी, पर आज हम सहेली बन गए थे| हमने खाना बनाते हुए बहुत बातें की| भाभी अपने कॉलेज के दिन बता रही थी कि कैसे लड़के उनके पीछे पड़े रहते थे पर उनका दिल मेरे भैया पर आया| भाभी ने वो सभी बातें मुझसे की जो वो अपने देवर से नहीं कर पाती| उन्होंने मुझे एक औरत होने का पूरा अनुभव दिया| और मैं भी एक लड़की की तरह उनकी चटपटी बातें सुनती और जवाब देती|
हम दोनों औरतों ने साथ में खाना खाया और फिर आराम करने के लिए कमरे की ओर गए| मैं कमरे में जाते ही बिस्तर पर बैठ गयी, वहीँ भाभी मेरे सामने साड़ी उतारने लगी| कभी भाभी को ऐसे देखा न था तो मुझे समझ न आया कि मैं क्या करू| भाभी ने साड़ी का पल्लू उतारा और फिर कमर से साड़ी खोलने लगी| मेरी ओर देख कर वो बोली, “ननंद जी, देख क्या रही हो? आराम करने के लिए यह साड़ी ठीक नहीं है| मैं तो  नाईटी पहन कर सोउंगी| चाहो तो तुम भी बदल लो, अनु|” भाभी बेफिक्री से साड़ी उतार रही थी| शायद उनकी नजरो में मैं एक औरत थी और एक औरत के सामने कपडे बदलने में उन्हें शर्म न थी| “नहीं भाभी मैं साड़ी में ही ठीक हूँ|”, मैंने कहा| मैं कुछ देर और साड़ी का आनंद लेना चाहती थी| आखिर पहली बार साड़ी पहनी थी और मुझे बहुत मज़ा भी आ रहा था अपनी साड़ी के साथ खेलकर |

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खाना बनाकर खाना खाने के बाद हम ननंद भाभी कमरे में सोकर आराम करने आ गए| मैं साड़ी पहन कर ही सोने वाली थी पर भाभी कपडे बदल कर सोना चाहती थी|

देखते ही देखते भाभी ने अपना ब्लाउज भी उतार लिया| “सोच लो अनु| साड़ी पहन कर सोना आसान नहीं होता| मेरे पास बहुत सी नाईटी है” भाभी अब ब्रा में थी| उनके स्तन और ब्रा बिलकुल मेरी आँखों के सामने थे| मैं कभी सोची भी नहीं थी कि मैं भाभी को कभी ऐसे भी देखूँगी|  मैंने भाभी को नाईटी के लिए मना कर दिया| अब भाभी ने झट से अपनी पेटीकोट का नाडा खोल उतारने लगी| भाभी अब सिर्फ ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी| मेरे पेटीकोट के अन्दर तो हलचल बढ़ने लग गयी थी पर नेहा भाभी को कोई परवाह नहीं थी| उन्होंने उसी अवस्था में अलमारी से एक सुन्दर नाईटी निकाली और अपनी ब्रा का हुक खोल कर ब्रा भी उतार दी| उफ़ मैं कह नहीं सकती की कितने सुन्दर सुडौल मुलायम स्तन थे भाभी के| उनके एक एक कदम से वो हिल रहे थे| मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं उनके स्तनों की ओर देखू या अपना मुंह मोड़ लू| पर भाभी शायद मेरे मन की बात एक बार फिर समझ गयी थी| मेरी ओर देख कर वो एक पल को रुक गयी और मुझसे बोली, “ओहो अनु! तुम एक औरत हो| और मैं एक औरत के सामने कपडे बदलने से नहीं शर्मा सकती! तुम्हारे पास भी तुम्हारे ब्लाउज में स्तन है, भले ऐसे न सही|”



नेहा भाभी हाथ में अपनी नाईटी लिए बिलकुल मेरे सामने आ गयी| उनके स्तन ठीक मेरी आँखों के सामने थे| मैं अपनी साड़ी के पल्लू से अपने पेटीकोट के अन्दर उमड़ रहे सैलाब को छुपाने के कोशिश करने लगी| भाभी ने और करीब आकर मुझसे कहा, “अनु! छूकर देखो इन्हें!” मैं शर्म से मुंह मोड़ ली| “अनु!! देखो इधर| अरे शर्मा क्यों रही हो? तुम औरत हो और तुम्हे पता होना चाहिए औरत के तन के बारे में| अब पलटो और छूकर देखो इन्हें!”, भाभी ने कठोर आवाज़ में कहा| मैं समझ नहीं पा रही थी कि आखिर भाभी चाहती क्या है? आखिर मैंने उनके मुलायम स्तनों को छूकर महसूस कर ही लिया| मैंने अपनी आँखें बंद कर ली| मुझे यकीन था कि मेरे पेटीकोट के अन्दर का उभार अब बाहर भी साड़ी पर दिख रहा होगा| पर भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर स्तनों को निचे से पकडाया| उनके स्तन भारी थे| “अनु, अब तुम्हे समझ आया कि स्तन कितने भारी हो सकते है? इसलिए हम औरतों को हमेशा ब्रा पहन कर रहना होता है| पर सोते वक़्त खोल सकती हो तुम| ध्यान रखना कभी अपने लिए ब्रैस्टफॉर्म खरीदो तो बहुत बड़े मत खरीदना वरना कमर दर्द हो जाएगा इनके वजन से| समझी?”, भाभी ने कहा|
भाभी की बात सुनकर कुछ देर के लिए मेरी कामोत्तेजना कम हो गयी| मेरी आँखों के सामने भाभी ने फिर अपनी नाईटी पहनी| और फिर हम दोनों ने एक ही कमरे में एक बिस्तर पर सोकर सहेलियों की तरह आराम भी किया| उनकी सहेली होने के नाते, मेरे अन्दर पुरुष वाली कामोत्तेजना अब कम ज़रूर थी पर ख़तम नहीं हुई थी| आखिर मैंने कपडे जो भी पहने हो, मेरी भाभी तो आकर्षक महिला ही थी और मैं एक जवान लड़का| पर जल्दी ही मैं नींद की आगोश में चली गयी|
जब आँख खुली तो कई घंटे बीत चुके थे| शाम हो चुकी थी| मैं अब भी साड़ी पहनी हुई थी| पर भाभी की बात सच थी, साड़ी पहन कर सोना आसान नहीं है|  सोते वक़्त मेरी साड़ी काफी बिखर गयी थी और बाल भी थोड़े उलझ गए थे| मैं अब बिस्तर से उठना चाहती थी | मैं आस पास पलट कर देखी तो भाभी कहीं भी नहीं थी| कमरे की अलमारी खुली हुई थी पर कमरे का दरवाज़ा बंद था| मैंने ध्यान दिया तो मुझे भाभी की किसी से बात करते हुए हलकी हलकी आवाज़ सुनाई पड़ी| भाभी तनुज भैया से बात कर रही थी! तनुज भैया की आवाज़ सुनते ही मेरे होश उड़ गए| क्रॉस-ड्रेसिंग का भुत दिमाग से उतर गया और दिमाग से अनु गायब होकर मैं वापस अनुज बन गया था| पर मैं अब भी भाभी के कमरे में भाभी की साड़ी पहन कर था! यहाँ मैं अपने कपडे भी नहीं बदल सकता था क्योंकि मेरे कपडे दुसरे कमरे में थे| अब मैं क्या करूंगा? भैया को पता चल गया तो क्या होगा मेरा?



बाहर के कमरे से भैया भाभी की आवाज़ अब भी आ रही थी| पर वे आपस में क्या बात कर रहे थे समझ नहीं आ रहा था| मैं अपनी जगह से हिलने की हिम्मत भी नहीं कर पा रहा था| डर लग रहा था कि भैया मेरा क्या हाल करेंगे| और भाभी को न जाने मेरी वजह से कितनी मुश्किल का सामना करना पड़ेगा| भैया भाभी की आवाज़ और तेज़ होने लगी थी| लग रहा था कि उन दोनों में लड़ाई झगडा हो रहा है| यक़ीनन ही भैया को  अब तक पता चल गया होगा मेरे बारे में, मैंने सोचा| और शायद इसलिए लडाई हो रही थी| काफी देर तक ऊँची आवाजो के बाद अचानक बाहर शान्ति छा गयी थी| और जोर से दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ आई| मैंने पति पत्नी के बीच न आना ही अभी उचित समझा| बाहर से आवाज़ आना बंद हो गयी थी| बीच बीच में भाभी के चलने पर उनकी चूड़ियों की आवाज़ थोड़ी थोड़ी सुनाई दे जाती| मैं उम्मीद कर रहा था कि भाभी मुझे मेरे कपडे लाकर देगी और बदलने को कहेगी| पर ऐसा कुछ न हुआ| करीब आधा घंटा बीत चूका था सब शांत हुए| अभी तक न भैया और न ही भाभी मेरे पास आये थे| मैं अन्दर ही अन्दर उस पल को कोस रहा था जब मैंने भाभी को अपने क्रॉस-ड्रेसिंग के बारे में बताने की सोचा था| मुझे बहुत अफ़सोस हो रहा था|
अचानक दरवाज़ा खुला| नेहा भाभी कमरे में आई| उन्होंने मेरी ओर देखा|  भाभी को देखते ही जैसे मैं फिर से नाज़ुक अनु बन गयी थी| मैं अभी भी घबरायी हुई थी|नेहा भाभी ने गंभीर लहजे में मुझसे कहा, “अनु, बाहर चलो| अब छुपने का कोई फायदा नहीं है|”
मेरी हालत ख़राब हो गयी| मन में बहुत डर था कि बाहर भैया गुस्से में बैठे हुए होंगे| पता नहीं मुझे साड़ी पहने देख कर उनका गुस्सा और कितना बढ़ जाएगा| इसी डर की वजह से मेरे कदम बहुत धीरे धीरे बढ़ रहे थे और मेरी आँखें झुकी हुई थी| अनजाने में ही मैं किसी नयी नवेली दुल्हन की तरह घबरायी हुई चल रही थी जो घर के बड़ो से पहली बार मिलने वाली हो|
भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर मेरा सहारा बनने की कोशिश की| भाभी ने दरवाज़ा खोला और हम दोनों बाहर आये| मैं अब भी घबरायी हुई नज़रे झुकाकर दोनों हाथों से अपनी साड़ी के पल्लू का छोर पकड़ी हुई थी| नज़रे उठाने की मेरी हिम्मत न थी| भाभी आगे बढ़ कर सोफे की ओर चली गयी जहाँ शायद भैया भी बैठे हुए थे| पर मैं बिलकुल भी हिम्मत न कर सकी की भैया की ओर देख सकू|
“अनु, अपनी आँखें उठाओ और देखो हमारी तरफ!”, भाभी ने कठोरता से कहा|
आखिर मैंने अपनी नज़रे उठा कर सोफे की ओर देख ही लिया| और जो मैंने देखा, उसे देख कर मेरे पाँव के नीचे से ज़मीन खिसक गयी| लगा जैसे मेरे होश उड़ने वाले है|
मेरी आँखों के सामने तनुज भैया गहरी नीली रंग की साड़ी पहने बैठे हुए थे| विग मेकअप के साथ साथ उन्होंने मंगलसूत्र भी पहना हुआ था | मुझे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था| मुझे समझ नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है|
तभी भाभी मुस्कुराकर उठ कर मेरे पास आई और कहा, “अनु, समय आ गया है कि तुम अपनी बड़ी बहन तनु से मिलो| तनु का यह राज़ मैं सालो से छुपायी हुई थी पर जब तुमने मुझे अपनी क्रॉस-ड्रेसिंग के बारे में बताया, तुम्हे अंदाज़ा नहीं है कि मुझे कितनी ख़ुशी मिली थी| तनुज भी क्रॉस-ड्रेसर है पर उनको लगता था कि उनके आसपास की दुनिया में वो ऐसे अकेले है| कई बार इसके लिए उन्हें बुरा भी लगता था| वे सोचते थे कि मैं क्या सोचूंगी उनके बारे में| पर तुम अनु, तुमने अपना सच बता कर हमारा जीवन कितना आसान कर दिया है आज| अब तनुज-अनुज भाइयों के साथ तनु-अनु बहने भी है! अब तुम दोनों अपने दिल की बात एक दुसरे से कर सकते हो!”
अब मुझे समझ आ गया था कि आखिर भाभी के पास विग और ब्रैस्टफॉर्म क्यों थे घर में| तनुज भैया, मेरा मतलब की तनु दीदी के लिए था यह सब| तनु दीदी मेरी आँखों के सामने खड़ी थी| उनके गले में मंगलसूत्र की वजह से वह बिलकुल शादीशुदा औरत लग रही थी| और आखिर वो शादीशुदा थी भी| आज मेरे लिए बड़ी ख़ुशी का दिन था| आज न सिर्फ मैं अनु बन सकी बल्कि मुझे एक बड़ी बहन भी मिल गयी| भावनाएं दिल में कुछ ज्यादा उमड़ रही थी| पर ख़ुशी के मारे मैं दौड़ कर तनु दीदी से लिपट गयी|



तभी नेहा भाभी ने हमसे कहा, “लेडीज़, इमोशनल ड्रामा हो गया हो आप दोनों का तो प्लीज़ डिनर भी बना दो| आज मैं बैठ कर बस आराम करूंगी और तुम दोनों बहने किचन में खाना बनाओ| अनु, तुम्हारी तनु दीदी बहुत बढ़िया खाना बनाती है, तुम उनसे भी कुछ सिख लेना|” भाभी हम दोनों बहनों को छेड़ रही थी|
हम दोनों बहने किचन में खाना बनाने आ गयी जबकि भाभी बाहर बैठी टीवी देख रही थी| उन्होंने हमें अकेले में बात करने का मौका देकर ठीक ही किया था| मुझे जानने का मौका मिला कि जहाँ मेरे तनुज भैया बेहद स्ट्रिक्ट कठोर आदमी थे वहीँ तनु दीदी उनके विपरीत बेहद ही स्वीट और प्यार देने वाली औरत थी| मुझे अपनी इतनी प्यारी दीदी से मिलने का मौका न मिलता यदि आज नेहा भाभी ने शाम को तनुज भैया को समझाया न होता कि वो अपना राज़ मुझे बता सकते है| आज शाम को उन दोनों में इसी बारे में बहस हो रही थी| पर मेरी प्यारी नेहा भाभी की वजह से मुझे आज इतनी प्यारी दीदी भी मिल सकी|

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