Skip to main content

परिणीता भाग १५

६ महीने बाद
रात हो चुकी थी| हम पति-पत्नी खाना खा चुके थे और मैं बर्तन धोकर अब बस सोने के लिए तैयार थी| मैं जैसे ही अपने बेडरूम पहुंची उन्होंने मुझे कस के सीने से लगा लिया| मैं जानती थी कि वो क्या चाहते थे|
“नहीं, अल्का! प्लीज़ अभी नहीं”, मैंने कहा|
हाँ, पिछले ६ महीने में काफी कुछ बदल चूका था| अब मेरे पति जैसे ही घर लौटते, वह तुरंत स्त्री के कपडे पहनकर अल्का बन जाते| अब तो उन्होंने अपने बाल भी लम्बे कर लिए थे और तन को पूरी तरह से वैक्स करके उनकी त्वचा बेहद स्मूथ हो गयी थी| वो अब बेहद ही आकर्षक स्त्री बन चुके थे| और आज तो उन्होंने रात के लिए सैटिन की सेक्सी स्लिप पहन रखी थी| मैं जानती थी कि आज रात उनका इरादा क्या था| इसलिए तो उन्होंने एक बार फिर मुझे अपनी बांहों में जोर से पकड़ लिया|
मैंने धीरे से दर्द में आंह भरी और कहा, “कम से कम मुझे साड़ी तो बदल लेने दो|” मैं नखरे करने लगी| आखिर पत्नी जो ठहरी, एक बार यूँ ही थोड़ी मान जाती चाहे मेरा भी दिल मचल रहा हो|
“परिणीता, तुम तो जानती हो कि तुम मुझे साड़ी में कितनी सेक्सी लगती हो”, अलका ने कहा और मुझे जोरो का चुम्बन दिया| उफ्फ, उनके सेक्सी तन पर वो सैटिन नाईटी का स्पर्श और उनका चुम्बन मुझे उत्तेजित कर गया| अब तो अल्का मुझे प्रतीक नहीं परिणीता कहती थी, जो मुझे और भी सेक्सी लगता था| इन ६ महीनो में मैं तो लगभग भूल ही गयी थी कि मैं कभी प्रतीक एक आदमी हुआ करती थी|
अल्का ने मुझे दीवार से लगाकर पलटा और मेरी पीठ पर किस करने लगी और मेरे स्तनों को अपने दोनों हाथो से मसलने लगी| मैं आँखें बंद करके आंहे भरने लगी| आखिर क्यों न करती मैं ऐसा? मेरे ब्लाउज पर उनके हाथ जो कर रहे थे मुझे मदहोश कर रहे थे| मेरे ब्लाउज से झांकती नंगी पीठ पर उनकी सैटिन नाईटी/स्लिप  का स्पर्श और चुम्बन मुझे उकसा रहा था|
उनकी स्लिप उनकी कमर से थोड़ी ही नीचे तक आती थी| और उसके अन्दर पहनी हुई सुन्दर सैटिन की पैंटी में उनका तना हुआ पुरुष लिंग मेरे नितम्ब पर मेरी साड़ी पर से जोर लगा रहा था| अलका आकर्षक स्त्री होते हुए भी आखिर एक पुरुष थी| मैं अपनी साड़ी पर उनका लिंग महसूस करके मचल उठी| मैंने अपने हाथ से उनकी स्लिप को उठा कर उनकी पैंटी में उनके लिंग को पकड़ लिया| सैटिन में लिपटा हुआ वो  बड़ा तना हुआ लिंग बहुत ही सेक्सी महसूस हो रहा था|और उनकी नाज़ुक पैंटी उस मजबूत तने हुए लिंग को अन्दर अब रोक नहीं पा रही थी| फिर  मैंने भी अपने हाथो से उसे पैंटी से बाहर निकाल कर आजाद कर दिया|
“अल्का, तुम तो पूरी तरह तैयार लग रही हो|”, मैंने आंहे भरते हुए कहा| पर अल्का तो मदहोशी से मेरी गर्दन को चूम रही थी| उसने मेरी बात का जवाब एक बार फिर मेरे स्तनों को ज़ोर से दबा कर दिया| आह, उसके मेरे स्तन को दबाने से होने वाले दर्द में भी एक मिठास थी|
अल्का ने मुझे फिर ज़ोरों से जकड लिया, अब उसके स्तन मेरी पीठ पर दबने लगे| मैं तो बताना ही भूल गयी थी कि अल्का की औरत बनने की चाहत में उसने ३४ बी साइज़ के ब्रेस्ट इम्प्लांट ऑपरेशन द्वारा लगवा लिए थे| अब तो वह भी बेहद सुन्दर सुडौल स्तनों वाली औरत थी| मेरे लिए तो मानो एक सुन्दर सपना था यह| अल्का के स्तन और उसका पुरुष लिंग, मुझे एक साथ एक औरत और एक पुरुष से प्रेम करने का सौभाग्य मिलने लगा था|
कामोत्तेजना में अल्का ने अपनी पैंटी उतार दी और मुझे बिस्तर के किनारे ले जाकर झुका दी| और तुरंत ही मेरी साड़ी और पेटीकोट को उठाकर मेरी पैंटी उतारने लगी| कामोत्तेजित अल्का अब रुकने न वाली थी और मैं भी उतावली थी कि कब उसका लिंग मुझमे प्रवेश करेगा| अल्का ने मेरी पैंटी उतार कर अपनी उँगलियों से मेरी योनी को छुआ| उसके लम्बे नाख़ून और लाल रंग की नेल पोलिश में बेहद सेक्सी लग रहे थे| मुझे छेड़ते छेड़ते उसने अपनी ऊँगली मेरी योनी में डाल दी| मैं उत्तेजना में उन्माद से चीख उठी| “अब और न तरसाओ मुझे अल्का!”, मैं मदहोशी में उससे कहने लगी|

अल्का भी बिलकुल तैयार थी और देखते ही देखते उसका लिंग मेरी योनी को चुमते हुए मुझमे पूरा प्रवेश कर गया| मैं तो जैसे परम आनंद को महसूस कर रही थी| वो मेरी नितम्ब को अपने हाथो में पकड़ कर आगे पीछे करती तो मैं भी अपनी कमर को लहराते हुए और जोरो से आंहे भरती| और उसके हर स्ट्रोक के साथ हम दोनों के स्तन झूम उठते| मेरे स्तन तो अब भी ब्लाउज में कैद थे पर अल्का के स्तन उसकी सैटिन स्लिप में उछल रहे थे| अब अल्का खुद अपने एक हाथ से अपने ही स्तनों को मसलने लगी| और अपने ही होंठो को काटने लगी| गहरी लाल रंग की लिपस्टिक में उसके होंठ बेहद कामुक हो गए थे| वहीँ मैं अपनी साड़ी में लिपटी हुई इस पल का आँख बंद करके आनंद ले रही थी|
मैंने पलट कर देखा तो अल्का अब भी अपने स्तनों को मसल रही थी| उसे देख कर मेरा भी मन उसके स्तनों को चूमने को मचल उठा| मैं अब उठ कर अपनी साड़ी से अपने पैरो को ढककर अपने घुटनों पर खड़ी हो गयी और उसकी ओर चंचल नजरो से देखने लगी| शायद वो भी इंतजार कर रही थी कि कब मैं उसके स्तनों को चुमुंगी| फिर क्या था? मैं  उसके एक स्तन को अपने हाथो से पकड़ कर छूने लगी और उसे तरसाने लगी| उसके मुलायम सुडौल स्तन पर फिसलती हुई सैटिन स्लिप पर छूने का आनंद ही कुछ और था| उसने भी अपने दोनों हाथो से मेरे स्तनों को पकड़ लिया| मैंने उसका एक स्तन उसकी स्लिप से बाहर निकाला और फिर अपने होंठो से चूम ली| आनंद में अल्का ने अब अपनी आँखें बंद कर ली थी| मुझे एहसास था कि उसे बेहद मज़ा आ रहा है क्योंकि वो उस आनंद में मेरे स्तनों को और जोर से दबाने लगी| फिर अपनी जीभ से मैंने उसके निप्पल को थोडी देर चूमने के बाद, अपने दांतों से उसके निप्पल को काट दिया| अल्का अब दीवानी हो कर कहने लगी, “ज़रा और ज़ोर से कांटो”| फिर उसने मेरे सर को पूरी ताकत से अपने सीने से लगा लिया| मैंने अपने दुसरे हाथ से उसका लिंग पकड़ लिया| कहने की ज़रुरत नहीं है पर हम दोनों मदहोश हो रही थी| मैं तो सालो से एक स्त्री के साथ सेक्स करने में सहज थी और इस नए रूप में अब पुरुष तन का आनंद लेना भी सिख गयी थी मैं|और अल्का तो एक ही शरीर में स्त्री और पुरुष दोनों ही थी|
उसी उन्माद में फिर हम दोनों एक दुसरे को चूमने लगी| अल्का ने मेरा सर अपने हाथो में पकड़ कर मुझे चूमना शुरू कर दिया था| उसकी सैटिन स्लिप का मखमली स्पर्श मुझे उतावला कर रहा था और वहीँ मेरी नाज़ुक काया पर लिपटी हुई साड़ी उसे दीवाना कर रही थी| और हम दोनों के स्तन एक दुसरे को दबाते हुए मानो खुद खुश हो रहे थे| अल्का ने मेरे सीने से मेरी साड़ी को उठा कर मेरे ब्लाउज के अन्दर हाथ डाल लिया| वह जो भी कर रही थी वो मेरे अंग अंग में आग लगा रहा था| और उसका लिंग मेरे हाथो में मानो और कठोर होता जा रहा था|
अल्का ने एक बार फिर मेरी साड़ी को कमर तक उठा लिया| उसका इरादा स्पष्ट था| अब उसका लिंग मेरी योनी में सामने से प्रवेश करने वाला था| मैं भी बस उसी पल के इंतजार में थी| मैंने अपना पेतीकोट उठा कर उसके लिए रास्ता भी आसान कर दिया था| साड़ी की यही तो ख़ास बात है, बिना उतारे ही आप झट से प्यार कर सकते है| यह मैं भी जानती थी और अल्का भी| अल्का ने फिर धीरे से अपना लिंग मेरी योनी से लगाया| और  मैंने उस बड़े से लिंग को अपने अन्दर समा लिया| उसके अन्दर आते ही मैं और जोर जोर से आवाजें निकालने लगी| इस दौरान हम दोनों एक दुसरे के स्तन दबाकर उन्मादित थे| धीरे धीरे हमारी उत्तेजना बढती गयी, दोनों की आवाजें तेज़ होती गयी, हवा में अल्का के स्तन उसकी स्लिप से बाहर आकार झुमने लगे, और दोनों की आँखें बंद हो गयी| और उस उत्तेजना की परम सीमा पर पहुच कर हम दोनों ने एक दुसरे का हाथ कस कर पकड़ लिया| और फिर अल्का का एक आखिरी स्ट्रोक और हम दोनों एक ही पल में … बस मुझे कहने की ज़रुरत है क्या? यह वो रात थी जब मेरे तन में एक नए जीवन का प्रवेश हुआ| हाँ, उस रात के बाद अब मैं माँ बनने वाली थी!
पिछले ६ महीने
z07
अल्का और मैं, हम दोनों बहुत अच्छी सहेलियाँ बन गयी थी!
पिछले ६ महीने हम पति पत्नी के जीवन में नयी खुशियाँ और नई परीक्षा लेकर आया था| मेरे पति अब घर आकर तुरंत स्त्री के कपडे पहनते, मेकअप करते और अल्का बन जाते| मेरे पति अब क्रॉस ड्रेसर बन चुके थे और मैं इस स्थिति से खुश थी| मुझे एक सहेली मिल गयी थी| जब भी मौका मिलता हम दोनों सहेलियाँ बाहर शौपिंग करने या घुमने फिरने निकल पड़ती| दोनों को एक बार फिर जैसे नए सिरे से प्यार हो गया था| हम दोनों के कद काठी अलग अलग थी तो ड्रेस अलग अलग ही खरीदते पर साड़ियां अब साथ मिल कर लेते थे| पर ब्लाउज हमें अलग अलग सिलवाने पड़ते थे| जहाँ मैं अब एक औरत बन कर थोड़े पारंपरिक से ब्लाउज कट सिलवाने लगी थी, वहीँ वो ज्यादा सेक्सी ब्लाउज सिलवाने लगे थे| पुरुष तन को स्त्री के रूप में निखारने में वो कोई कमी नहीं रहने देना चाहते थे|
पर समय के साथ उनकी स्त्री बनने की इच्छा तीव्र होती जा रही थी| उन्होंने बाल भी बढ़ाना शुरू कर दिया था| पर मुझे शॉक उस दिन लगा जब उन्होंने घर लौट कर कहा कि अब वो ऑपरेशन करा कर पूरी तरह स्त्री बनना चाहते है| मैं तो एक पल के लिए अन्दर ही अन्दर टूट गयी थी क्योंकि चाहे जो भी हो, अब मैं एक स्त्री थी और मुझे सम्पूर्ण करने वाले पति यानी पुरुष का साथ चाहिए था| पर उन्होंने बेहद प्यार से मुझे गले लगाया और फिर मुझसे इस बारे में और बात की| फिर हमने मिलकर निर्णय लिया कि वह ब्रेस्ट इम्प्लांट करवाएंगे पर पूरी तरह लिंग परिवर्तन नहीं कराएँगे| मैं नहीं चाहती थी की वो अपना पूरा पुरुषत्व ख़त्म कर दे| ऑपरेशन के बाद ३४ बी साइज़ के उनके स्तन इतने बड़े भी नहीं थे कि दिन में अपनी नौकरी में वो पुरुष रूप में जाए तो छुप न सके| पर इतने छोटे भी न थे उनका आनंद न लिया जा सके| मेरा जीवन अब बेहद सुखी था| और उनका भी| अब मुझे पूरी तरह औरत होने का अनुभव करने में बस एक ही कमी रह गयी थी, मैं माँ बनना चाहती थी| मुझे उन्हें मनाने में थोडा समय लगा पर एक दिन वो मान ही गए|
अगले ९ महीने
अपने शरीर में पलती हुई एक नयी जान को लेकर चलने के वो ९ महीने का अनुभव शायद मेरे जीवन का अब तक सबसे प्यारा अनुभव रहा| इस दौरान मुझे अल्का के रूप में मुझे समझने वाली सहेली मिली तो पति के रूप में सहारा बनने वाला पुरुष भी| पर धीरे धीरे उन्होंने अल्का बनना कम कर दिया था, क्योंकि वो जानते थे कि अब मुझे एक पुरुष का सहारा चाहिए था| आखिर वो प्यार भरे ९ महीनो में ,अपने अन्दर पलते हुए जीवन को अब बाहर लाने का वक़्त आ गया था| बड़े प्यार से ९ महीने पाला था उसे, पर अब मैं हॉस्पिटल में प्रसव पीड़ा में थी| उस दर्द में तड़पते हुए तो मानो एक पछतावा हो रहा था कि क्यों मैंने माँ बनने का निर्णय लिया| पर उस पीड़ा को तो सहना ही था|अब उससे पीछे नहीं पलट सकती थी|

कुछ दिनों बाद
मेरी प्रसव पीड़ा पूरे १४ घंटे रही| पर उसके बाद जब डॉक्टर ने मेरे हाथो में एक नन्ही सी जान को सौंपा तो मेरी आँखों में ख़ुशी के आंसू आ गए| मैं एक बेटी की माँ बन गयी थी| माँ, सबसे प्यारा अनुभव| औरत होने के सारे सुख दुःख इस अनुभव के सामने फीके है! मैंने अपनी बेटी को प्यार से गले से लगा लिया| मैं भावुक होकर सारा दर्द भूल चुकी थी| इसके बाद मुझे नर्स ने सिखाया कि बच्चे को दूध कैसे पिलाना है| उस बच्ची ने जब मेरे स्तन से दूध पीया तो जैसे मेरे अन्दर से प्यार की अनंत प्रेम धारा बह  निकली| मैं आँखें बंद करके उस प्यार को महसूस करने लगी| जब यह सब हो रहा था तब मेरे पति मेरे साथ ही थे| वो बहुत खुश थे पर उनकी आँखों में मैं एक बात देख सकती थी| उनके अन्दर हमारा शरीर बदलने के पहले वाली पत्नी परिणीता थी, जो सोच रही थी कि वो भी कभी माँ बन सकती थी और यह सुख वो भी पा सकती थी| पर किस्मत ने उनको अब आदमी बना दिया था| मैंने उनके दिल की बात सुनकर उन्हें पास बुलाकर कहा, “सुनो, अपनी बेटी को नहीं देखोगे?” उन्होंने प्यार से बेटी को गले लगा लिया| फिर मैंने उनके कान में धीमे से कहा, “हमारी बेटी भाग्यशाली है कि उसके पास एक पिता और दो माँ है!” मेरी बातें सुनकर उनकी आँखे भी नम हो गयी| उन्होंने कहा, “हाँ! और हमारी भाग्यशाली बेटी का नाम होगा प्रतीक और परिणीता की दुलारी “प्रणिता”!”
अब हम पति पत्नी घर आ गए थे| प्रणिता को दूध पिलाकर मैं उसे अपनी बगल में सुलाकर सोने को तैयार थी| वो भी आज बड़े दिनों बाद अल्का बन कर मेरी बगल में सोने आ गए| उन्होंने एक मुलायम सा गाउन पहना हुआ था उन्होंने मुझे प्यार से गले लगाकर गुड नाईट कहा और हमारा तीन सदस्यों का परिवार चैन की नींद सो गया|
अगली सुबह जब मैं उठी तो मेरे चेहरे पर खिड़की से सुनहरी धुप आ रही थी| लगता है मैं ज्यादा देर सो गयी थी| इतनी गहरी नींद लगी थी उस रात कि सुबह होने का अहसास ही न रहा| आज कुछ बदला बदला सा लग रहा था| अब तक मैंने अपनी आँखे नहीं खोली थी| पर मेरे स्तन आज हलके लग रहे थे जबकि उन्हें दूध से भरा होना चाहिए था| फिर भी अंगडाई लेती हुई जब मैंने आँखे खोली तो जो द्रिश्य था उसको देख कर आश्चर्य तो था पर ख़ुशी भी| मेरी आँखों के सामने मेरी पत्नी परिणीता बैठी हुई थी और उसकी गोद में हमारी बेटी प्रणिता सो रही थी| परिणीता ने ख़ुशी से मेरी ओर पलट कर देखा और चहकते हुए बोली, “हम फिर से अपने अपने रूप में आ गए प्रतीक! मैं फिर से परिणीता बन गयी हूँ और तुम मेरे पति प्रतीक!”
मैंने खुद को देखा तो मैंने वो गाउन पहना हुआ था जो कल रात मेरे पति पहन कर सोये थे| मैं फिर से आदमी बन गयी थी| मुझे एक पल को तो यकीन ही नहीं हुआ| इस नए बदलाव का मुझ पर क्या असर हुआ? क्या मुझे इस बात का दुख था कि अब मैं औरत नहीं थी? बिलकुल नहीं, मुझे बल्कि बेहद ख़ुशी थी| परिणीता की ख़ुशी देख कर स्त्रि का तन खोने का मुझे कोई दुख नहीं था| अब मैं फिर से एक क्रॉस ड्रेसर आदमी बनने को तैयार थी| पर अब मेरे पास वो कुछ था जो पहले न हुआ करता था| अब मेरे पास ऐसी पत्नी थी जो मेरे जीवन के क्रॉस ड्रेसिंग वाले इस पहलू को समझ सकती थी, एक ऐसी पत्नी जो मेरा सहयोग करने को तैयार थी| और तो और अब मेरे बाल लम्बे थे और मेरे पास स्तन भी थे! ज़रा सोच कर देखिये एक क्रॉस ड्रेसर को और क्या चाहिए इससे ज्यादा?
परिशिष्ट
आज लगभग २ साल हो चुके है उस रात से जब मैं प्रतीक से परिणीता बन गयी थी| और अब कुछ महीने बीत चुके है मुझे फिर से प्रतीक बने| आज भी हम दोनों पति-पत्नी को यकीन नहीं होता कि हमारे साथ ऐसा भी हुआ था| सोच कर ही अजीब लगता है कि मैं एक पुरुष से प्रेम करने लगी थी! या एक स्त्री के तन में मैं कभी थी भी| मैंने एक बच्चे को माँ बनकर जन्म दिया था, एक सपने सा लगता है| पर ऐसा सब हमारे साथ क्यों हुआ था? इसका जवाब हमारे पास नहीं है|पर जो हुआ उसने हमारा जीवन हमेशा के लिए बदल दिया था| हम दोनों के बीच अब बहुत प्यार है| हम दोनों एक दुसरे की परेशानियों को और दिल को बेहद अच्छे तरह से समझ सकते है, जो समझ हम दोनों में पहले न थी|अब मैं जानती हूँ कि औरत के रूप में परिणीता कितनी मुश्किलों का सामना करती है, और अब वो समझती है कि एक पुरुष होकर औरत बनने की लालसा क्या होती है| इसी समझ की वजह से अब मैं जब मन चाहे स्त्री रूप में अल्का बन सकती हूँ| पर इन सबसे ज्यादा, अब हमारे जीवन को पूरा करने वाली बेटी प्रणिता है जिसकी दो मांए है!

Comments

Popular posts from this blog

नेहा भाभी

“मेरे प्यारे देवरजी आ गए! देखो तो कितने लम्बे हो गए हो तुम!”, मेरी प्यारी नेहा भाभी ने मेरे आते ही मुझे गले लगा लिया| और मैं भी अपनी खुबसूरत भाभी को देखते ही उनसे गले लिपट गया| नेहा भाभी बेहद ही सुन्दर थी, वैसी ही जिनके बारे में लोग सपने देख कर न जाने कैसी कैसी कहानियां लिखते है| सुन्दर चेहरा, दुबला पतला छरहरा बदन, भरे हुए स्तन, लम्बे बाल, कोई भी कमी न थी उनमे| वो आज हरी रंग की साड़ी पहनी हुई थी, जिसमे भूरे रंग की बॉर्डर थी| उनके छोटे आस्तीन वाले मैचिंग ब्लाउज में उनकी काया तो बस मंत्र-मुग्ध कर रही थी| उनके मुलायम स्तन गले लगाने पर जिस तरह मेरे सीने पे महसूस हो रहे थे, उन्हें छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था| पर मेरी भाभी थी वो! और मुझे उनका सम्मान करना चाहिए| मैं १०वी की परीक्षा के बाद गर्मी की छुट्टी बीताने तनुज भैया और नेहा भाभी के घर अभी अभी पहुंचा था| तनुज भैया मुझे  स्टेशन लेने आये थे| मुझे उनके यहाँ छुट्टी बीताना बड़ा पसंद था| आखिर नेहा भाभी मुझे इतना प्यार जो देती थी| भैया और भाभी की शादी को २ साल ही हुए थे और उन दोनों में अब भी नए शादीशुदा दंपत्ति वाली चमक थी| कोई भी मेरी भा...

आंटी

कमरे में एक कैलेंडर टंगा हुआ था जिसमे साल १९९५ लिखा हुआ था| उस कमरे में किसी की हलचल की आवाज़ आ रही थी| वो लड़का बेहद गहरी नींद में था पर आवाज़ सुन उसकी नींद खुल गयी और वो बहुत घबरा गया| मम्मी पापा तो अगले दो दिन के लिए शहर से बाहर थे| तो कौन हो सकता था? सबसे ज्यादा डर तो उसे पकड़े जाने का था| किसी तरह हिम्मत करके उसने अपनी चादर से बाहर झाँका| एक ३५-४० साल की औरत उसके बिस्तर के सामने एक कुर्सी पे बैठी गृहशोभा मैगज़ीन के पन्ने पलट रही थी| उसने अपनी टाँगे एक पर एक रखी हुई थी जिस पर उसकी साड़ी की प्लेट उसकी कमर से होती हुई नीचे किसी फूल की तरह खिल कर खुल रही थी| उसने काफी ऊँची हील की सैंडल पहन कर रखी थी| ज़रूर कोई बाहर से आई है| लड़के ने सोचा क्योंकि उसके घर में किसी के पास भी ऐसी सैंडल नहीं थी| किसी भी १४ साल के लड़के को ऐसी औरत बेहद आकर्षक लग सकती है, उस लड़के को भी लगी| चादर से झांकते हुए उस औरत ने लड़के को  देख लिया था| आज तो वो पक्का पकड़ा जायेगा| एक अनजान ३५-४० वर्षीया औरत उस लड़के के बिस्तर के पास बैठी हुई थी| कोई भी १४ वर्ष का लड़का उनकी तरफ आकर्षित हो जाता| “तो तुम्हे औरतों की किताबें प...

Neha Bhabhi

“Oh my dear brother-in-law! Look how tall you have grown”, said my dear sister-in-law Neha, or Neha  bhabhi (sister-in-law) , as I used to call her. She hugged me, and I hugged her back as soon as I reached her home. Neha  bhabhi  was a sexy woman, the kind of woman people fancy about and write those special kind of stories. Beautiful face, slim figure, big bosom, long hair, she had it all. Today, she was wearing a green colored saree, with a light brown border. She had a mesmerizing effect on me as I looked at my sexy bhabhi in that matching blouse with short sleeves.  I could feel her soft breasts pressing against me, and I didn’t wanna release her from my hug yet. But she was my sister-in-law, I guess I should respect her, I thought. After completion of my Class 10 exams, I had decided to visit my elder brother Tanuj and his wife Neha at their home. Tanuj had come to pick me up at the station, and we had just arrived at his home. I loved spending my summer vaca...