Skip to main content

परिणीता भाग ५

आज परिणिता नहाने में बहुत समय लगा रही थी। बाथरूम में एकांत में वो न जाने क्या सोच रही होगी। उसका नाज़ुक शरीर अब पुरुष का हो गया था। ये बदलाव उसके लिए भी बहुत बड़ा बदलाव है। सँभलने और स्थिति को समझने में उसे कुछ समय तो लगेगा ही। इन सब के बीच मैं बाहर तैयार हो रही थी। मेरा नया नज़ाकत भरा शरीर मुझे मदहोश किये जा रहा था। मेरे दिमाग ने मुझसे कहा कि जब ऐसी अजीबोगरीब हालात में परिणिता परेशान है, मैं कैसे कामुक विचार अपने मन में ला सकती हूँ। मैंने खुद का ध्यान भटकाने के लिए इधर उधर देखना शुरू किया। मेरी नज़र फिर से परिणिता की सुन्दर साड़ियों पर चली गयी। उसके पास एक से एक महँगी साड़ियां है पर शादी के वक़्त उसकी माँ ने उसे बहुत सी घरेलु सस्ती साड़ियां भी दी थी ताकि परिणिता उन्हें घर के काम करते वक़्त पहने। सब की सब बस अलमारी में ही रखी हुई है! यहाँ अमेरिका में परी ने उन्हें कभी पहना ही नहीं! उनमे से एक साड़ी थी जो थोड़ी साटिन मटेरियल की थी। मैं हमेशा से उसे पहनना चाहती थी। मैं तो सोच कर ही मचल रही थी की वो साड़ी मेरी नयी कोमल त्वचा पर कितनी अच्छी लगेगी। जब वो मखमली साड़ी मेरी त्वचा को छुएगी और पल्लू उस कोमल त्वचा पर फिसल जायेगा तो मेरा रोम रोम झूम उठेगा। मेरे नए मख्खन की तरह मुलायम स्तन और मेरी बड़ी नितम्ब को साड़ी चूमते हुए जब चिपक जायेगी, यह तो सोच कर ही मैं मदहोश हो रही थी। मेरा मन फिर न चाहते हुए कामुक विचारो में खो गया था।
मैंने खुद को फिर ऐसा सोचने से रोका। मुझे ध्यान आया कि मेरे बाल अब तक गीले थे और मैंने अब तक गुंथे हुए बालो को सूधारा नहीं था। परिणिता के बाथरूम से बाहर आने के पहले ठीक कर लेती हूँ नहीं तो वो और नाराज़ हो सकती थी। मैं आईने की ओर बढ़ी। हेयर ड्रायर को चालू की। मैंने कभी हेयर ड्रायर का इस्तेमाल नहीं किया था पर परिणिता को उपयोग करते देखा ज़रूर था। पहले तो लगा की बहुत मुश्किल होगी। थोड़ी हुई भी क्योंकि मेरे बाल शैम्पू करने के बाद गूँथ गए थे। पर जितनी आसानी से मैंने पहली बार में ही ड्रायर का उपयोग किया, मुझे खुद पर गर्व हो रहा था कि मैं अपने लंबे बालो को अच्छे से सूखने में कामयाब रही। आईने में खुद को देखते हुए बाल सुखा रही थी मैं। और इस वक़्त मेरे घुटनो तक लंबी ड्रेस पहनी थी। इस ड्रेस के ऊपरी हिस्से में काफी गहरा तो नहीं पर थोड़ा झुक कर बाल सूखाने की वजह से स्तनों के बीच क्लीवेज दिख रहा था। और तो और मैंने पुशअप ब्रा पहन रखी थी तो स्तन उभरे हुए और बड़े लग रहे थे। मैं सोच रही थी कि इस शरीर के साथ औरतें बिना कामुक हुए कुछ काम कैसे कर पाती होगी। पर फिर भी शुक्र है ब्रा का जिसने मेरे स्तनों को कस कर एक जगह स्थिर रखा था। इसके पहले जब मैंने नाइटी पहनी हुई थी तब मेरे स्तनों का हर एक कदम पर उछाल मुझे ज्यादा उतावला कर रहा था। मेरा बेकाबू मन फिर कामुक विचारो की ओर मुझे धकेल रहा था।
तभी बाथरूम के दरवाज़े के खुलने की आवाज़ आयी। “मैं बस तैयार हूँ!”, मैंने तुरंत कहा ताकि परिणिता नाराज़ न हो कि इतना समय लगा कर भी मैं तैयार नहीं हूँ।
“प्रतीक, एक प्रॉब्लम है!”, परिणीता ने धीरे से कहा।
मैं जल्द से परिणिता की और बढ़ चली। नहाने के बाद भी उसने रात को पहनने वाले नाईट ड्रेस पहन लिया था जो कि मेरा पुरुषो वाला पैजामा और शर्ट था। परिणिता कभी ऐसा नहीं करती है। नहाने के बाद तुरंत वो साफ़ नए कपडे पहनती है। जब मैंने परिणिता को थोड़ा दूर से ही देखा तो मुझे हँसी आ गयी। मैं मुस्कुराने लगी।
परिणीता भले अब पुरुष शरीर में थी पर उसके चेहरे पर पहले वाली ही मासूमियत झलक रही थी। वही मासूमियत जब उसे लगता है कि उससे कोई गलती हो गयी है और उसे पता नहीं कि उस गलती को सुधारे कैसे। जैसे वो सॉरी कहना चाहती हो।
“मैं पिछले २० मिनट से कोशिश कर रही हूँ पर यह जा नहीं रहा है! हेल्प मी, प्रतीक!”, उसने मासूमियत से कहा। परिणीता का अपने तने हुए पुरुष लिंग की ओर इशारा किया।
मैं मुस्कुराते हुए उसकी ओर बढ़ चली। परिणीता अब मुझसे बहुत ऊँची हो चुकी थी। उससे आँखें मिलाने के लिए मुझे सिर उठा कर उसकी ओर देखना पड़ रहा था। “इसमें कोई मुश्किल नहीं है। मैं तो इतने सालो से इसको संभालता रहा हूँ।”, मैंने कहा। फिर मैंने उसकी पैंट में हाथ डाला, लिंग को पकड़ा और कहा, “देखो, इसे हाथ से यूँ पकड़ो और ऊपर की ओर पॉइंट करो। इससे यह बाहर उभर कर नहीं दिखेगा। और थोड़ी देर बाद खुद ही छोटा हो जायेगा।” मैंने उसे बड़ी प्यार से समझाया। और वैसे भी उसमे इतना भी तनाव नहीं आया था कि यह बड़ा कठिन काम हो।
पर यह क्या! लिंग को हाथ से छोड़ते ही मुझे कुछ अजीब से बेचैनी का एहसास होने लगा। बिना कुछ और सोचे, मैं शर्माती हुई पलट गयी। मैं शर्मा क्यों रही थी? क्या हो रहा था मुझे? शायद मैं नहीं चाहती थी कि परिणीता मुझे कामुक होते देखे। पर मैं इतना ज्यादा शर्मा रही थी जैसे नयी दुल्हन शर्माती हो। मैंने अपना चेहरा अपने हाथो से छुपा लिया। ज़रूर मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया था।
परिणिता मेरी ओर न देख कर अपनी मुसीबत से लड़ रही थी। “प्रतीक, यह तो और बड़ा हो गया है। इसे ठीक करो प्रतीक, प्लीज़!”, परिणिता अपनी पेंट में बढ़ते हुए लिंग को देखते हुए बोली। शायद उसने मुझे शरमाते हुए देखा न था। मैं अपने आप को सँभालते हुए फिर परिणिता की और पलटी। चेहरे पे गंभीर भाव लायी। अपने हाथो से ड्र्रेस को थोड़ा नीचे की और खींचते हुए ठीक की। फिर घुटनो के बल झुक कर परिणीता के पुरुष लिंग की ओर ऐसे देखने लगी जैसे अब मैं समस्या का निदान करने ही वाली हूँ।
मेरा चेहरा और लिंग दोनों अब एक ही लेवल पर थे। मैंने अपने चेहरे के भाव और गंभीर करने का असफल प्रयास किया। कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करू। फिर मैंने धीरे से परीणिता की पैंट को निचे सरकाया। उसका लिंग तुरंत पैंट से बाहर आकर मेरी चेहरे की ओर तन गया। मेरे मन में क्या हो रहा था, समझ नहीं आ रहा था। कल रात तक यह लिंग मेरा हुआ करता था। मैंने पिछले कई महीनो से उसको इतना कठोर और तना हुआ महसूस नहीं किया था। कितना बड़ा हो गया था ये! मेरा मन बेचैन हुए जा रहा था। कल तक जो मेरा लिंग था मैं उसी की ओर आकर्षित हो रही थी। मैं लंबी गहरी सांसें ले रही थी। मेरे स्तन, लग रहा था जैसे और बड़े हो गए हो। ब्रा में कसाव और ज्यादा लग रहा था। मुझे यकीं है कि मेरे निप्पल और कठोर हो गए थे। मैं अपनी ब्रा में कठोर निप्पल महसूस कर पा रही थी। पुरुष लिंग बढ़ कर और तन कर मेरे चेहरे के बहुत पास आ गया था। मेरे हाथ उस लिंग को पकड़ लेना चाह रहे थे। मेरे होंठ उसे चूमना चाह रहे थे। जी चाह रहा था कि बस आंखे बंद करके तुरंत उस लिंग को पकड़ कर अपने स्तनों के बीच रगड़ लूँ। हाय, ये क्या हो रहा था मुझे! मैं पुरुष लिंग की तरफ कैसे आकर्षित हो रही थी!! और तो और अब मेरी स्त्री योनि में भी जो होना शुरू हुआ जिसे मैं शब्दो में लिख भी नहीं सकती। सब कुछ बहुत नया था मेरे लिए।
मैं झट से अपने पैरो पे खड़ी हो गयी और उस लिंग से विपरीत दिशा की ओर पलट गयी। जल्दबाज़ी में उठने और पलटने से मेरे बाल मेरे चेहरे के सामने बिखर गए थे। अपने दोनों हाथों से बालो को ठीक करते हुए अपने कान के पीछे करते हुए मैंने परिणीता से कहा, “परी, जल्दी से ड्रावर से अंडरवियर निकाल कर पहन लो और फिर ये जीन्स और टी शर्ट पहन लो। और लिंग को ऊपर की ओर घूम कर रखना। अंडरवेअर, जीन्स और बेल्ट के नीचे वो दब कर रहेगा तो उभरेगा नहीं फिर।”
परिणीता ने वैसा ही किया। शर्ट पहन कर वो बोली, “लड़का होना कितना आसान है! झट से जीन्स टी शर्ट पहनो, ५ सेकंड में बाल भी कंघी हो गए, और मैं तैयार।” परिणीता मुस्कुराते हुए मेरे बगल में आकर बैठ गयी। उसके नए शरीर के सामने कितना छोटा महसूस कर रही थी मैं खुद को। मैं भी फिर मुस्कुरा दी, और झूठा सा गुस्सा दिखाते हुए उसके सीने पे अपनी नाज़ुक मुट्ठी से चोट की और उसके सीने पे सर रख दी। उसने भी मुझे बाहों में पकड़ लिया। सब कुछ इतना स्वाभाविक था जैसे हम दोनों सालों से इस तरह का उलट जीवन जी रहे है जिसमे वो पति हो और मैं पत्नी। परिणीता बोली, “अब अपने लंबे बालों को सुखाकर तुम्हे पता तो चल गया होगा कि लड़की होना आसान नहीं है! वहां मेरा पर्स रखा है, उसमे से लिपस्टिक निकाल लाओ। मैं तुम्हे लगा देती हूँ।” उसने पर्स की ओर इशारा किया। “परी, इतना भी मुश्किल नहीं है लड़की होना! मैंने पहली बार में ही सब सही से कर लिया। और लिपस्टिक लगाने के लिए मुझे तुम्हारी मदद की ज़रुरत नहीं है, मैं खुद लगा सकता हूँ।”, ऐसा बोलकर पर्स से लिपस्टिक निकाल कर मैं अपने होठो पे लगाने लगी। यम्मी! परिणीता की लिपस्टिक की क्वालिटी बहुत बेहतर थी उन लिपस्टिक से जिनका उपयोग मैं छुप छुप कर तैयार होते हुए करती थी। परिणीता भी मुस्कुरा दी मुझे परफेक्ट तरह से लिपस्टिक लगाए देख कर।
इस थोड़े से हंसी मज़ाक में हम दोनों की कामुक भावनायें ख़त्म सी हो गयी थी। पर पूरी तरह नहीं। सुबह से उठने के बाद से मुझे तो समझ आ चूका था कि एक छोटी से चिंगारी मेरी कामुक भावनाओं को फिर से जगाने के लिए काफी है। एक बात का एहसास हम दोनों को अभी तक नहीं हुआ था कि जहाँ एक तरफ नए शरीर में, दिमाग में जो विचार आ रहे थे वो तो हमारे अपने थे, पर इस शरीर में वो हॉर्मोन दौड़ रहे थे जिसकी हमें आदत नहीं थी। यही वजह थी कि हम अपनी कामुकता को वश में नहीं कर पा रहे थे। जहाँ पुरुष हॉर्मोन परिणीता के लिंग तो कठोर कर रहे थे वही स्त्री हॉर्मोन मुझे कामोत्तेजित कर रहे थे। और हम दोनों को उन्हें वश में करने का कोई अनुभव न था। न जाने आगे इसका क्या असर होने वाला था। हुम्, मैं तो जानती हूँ पर आप नहीं। जानना चाहते है तो पढ़ते रहिये। और कमेंट अवश्य करे। इंतज़ार करूंगी।

Comments

Popular posts from this blog

नेहा भाभी

“मेरे प्यारे देवरजी आ गए! देखो तो कितने लम्बे हो गए हो तुम!”, मेरी प्यारी नेहा भाभी ने मेरे आते ही मुझे गले लगा लिया| और मैं भी अपनी खुबसूरत भाभी को देखते ही उनसे गले लिपट गया| नेहा भाभी बेहद ही सुन्दर थी, वैसी ही जिनके बारे में लोग सपने देख कर न जाने कैसी कैसी कहानियां लिखते है| सुन्दर चेहरा, दुबला पतला छरहरा बदन, भरे हुए स्तन, लम्बे बाल, कोई भी कमी न थी उनमे| वो आज हरी रंग की साड़ी पहनी हुई थी, जिसमे भूरे रंग की बॉर्डर थी| उनके छोटे आस्तीन वाले मैचिंग ब्लाउज में उनकी काया तो बस मंत्र-मुग्ध कर रही थी| उनके मुलायम स्तन गले लगाने पर जिस तरह मेरे सीने पे महसूस हो रहे थे, उन्हें छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था| पर मेरी भाभी थी वो! और मुझे उनका सम्मान करना चाहिए| मैं १०वी की परीक्षा के बाद गर्मी की छुट्टी बीताने तनुज भैया और नेहा भाभी के घर अभी अभी पहुंचा था| तनुज भैया मुझे  स्टेशन लेने आये थे| मुझे उनके यहाँ छुट्टी बीताना बड़ा पसंद था| आखिर नेहा भाभी मुझे इतना प्यार जो देती थी| भैया और भाभी की शादी को २ साल ही हुए थे और उन दोनों में अब भी नए शादीशुदा दंपत्ति वाली चमक थी| कोई भी मेरी भा...

आंटी

कमरे में एक कैलेंडर टंगा हुआ था जिसमे साल १९९५ लिखा हुआ था| उस कमरे में किसी की हलचल की आवाज़ आ रही थी| वो लड़का बेहद गहरी नींद में था पर आवाज़ सुन उसकी नींद खुल गयी और वो बहुत घबरा गया| मम्मी पापा तो अगले दो दिन के लिए शहर से बाहर थे| तो कौन हो सकता था? सबसे ज्यादा डर तो उसे पकड़े जाने का था| किसी तरह हिम्मत करके उसने अपनी चादर से बाहर झाँका| एक ३५-४० साल की औरत उसके बिस्तर के सामने एक कुर्सी पे बैठी गृहशोभा मैगज़ीन के पन्ने पलट रही थी| उसने अपनी टाँगे एक पर एक रखी हुई थी जिस पर उसकी साड़ी की प्लेट उसकी कमर से होती हुई नीचे किसी फूल की तरह खिल कर खुल रही थी| उसने काफी ऊँची हील की सैंडल पहन कर रखी थी| ज़रूर कोई बाहर से आई है| लड़के ने सोचा क्योंकि उसके घर में किसी के पास भी ऐसी सैंडल नहीं थी| किसी भी १४ साल के लड़के को ऐसी औरत बेहद आकर्षक लग सकती है, उस लड़के को भी लगी| चादर से झांकते हुए उस औरत ने लड़के को  देख लिया था| आज तो वो पक्का पकड़ा जायेगा| एक अनजान ३५-४० वर्षीया औरत उस लड़के के बिस्तर के पास बैठी हुई थी| कोई भी १४ वर्ष का लड़का उनकी तरफ आकर्षित हो जाता| “तो तुम्हे औरतों की किताबें प...

Neha Bhabhi

“Oh my dear brother-in-law! Look how tall you have grown”, said my dear sister-in-law Neha, or Neha  bhabhi (sister-in-law) , as I used to call her. She hugged me, and I hugged her back as soon as I reached her home. Neha  bhabhi  was a sexy woman, the kind of woman people fancy about and write those special kind of stories. Beautiful face, slim figure, big bosom, long hair, she had it all. Today, she was wearing a green colored saree, with a light brown border. She had a mesmerizing effect on me as I looked at my sexy bhabhi in that matching blouse with short sleeves.  I could feel her soft breasts pressing against me, and I didn’t wanna release her from my hug yet. But she was my sister-in-law, I guess I should respect her, I thought. After completion of my Class 10 exams, I had decided to visit my elder brother Tanuj and his wife Neha at their home. Tanuj had come to pick me up at the station, and we had just arrived at his home. I loved spending my summer vaca...