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परिणीता भाग ११

छम छम। मेरे पैरों की पायल की यह मधुर आवाज़ सुनकर मैं खुद ही शरमा रही थी। नयी दुल्हन की पायल की छमक किसे अच्छी नहीं लगती? आज तो मैं भी एक नयी दुल्हन थी। और दरवाज़ा खोल कर धीरे धीरे कदम बढ़ाते हुए मैं अपने पति परिणीता और अपनी सुहागरात की सेज की ओर बढ़ चली। मुझे बेहद शर्म भी आ रही थी। कोई भी नयी नवेली दुल्हन शर्माती है। और मैं तो पहली बार परिणीता के सामने साड़ी पहन कर आ रही थी। इसके पहले जब भी क्रोसड्रेस करते हुए मैं साड़ी पहनती तो हमेशा परिणीता से छुप छुप कर पहना करती थी। पर आज वो बदलने वाला था। परिणीता अब मेरे आदमी वाले शरीर में थी जिसमे एक आदमी वाला दिमाग चल रहा था। मैं भलीभांति जानती थी कि कल तक जब मैं पुरुष थी, मैं कितना चाहती थी कि मेरी तब की पत्नी परिणीता मेरे सामने आसमानी रंग की साड़ी पहन कर आये। बड़े शौक से खरीदी थी मैंने उसके लिए। तब एक पति के रूप में मैं जानती थी कि मुझे मेरी पत्नी के तन पर क्या आकर्षित करेगा। पर कभी परिणीता ने उसे पहना नहीं। और मैंने कभी सपने में भी न सोचा था कि वही साड़ी एक दिन मैं खुद पहनकर सुहागरात मनाऊंगी। उफ़, मेरा दिल कितना मचल रहा था। वह मेरी साड़ी का ब्लाउज जिस तरह मेरे स्तनों को कस कर चुम रहा था, वह अनुभूति शब्दों में कहना नामुमकिन है। मेरा ब्लाउज मेरे शरीर का ही अंग बन गया था और मुझसे प्यार से चिपक गया था।
मुझे आसमानी साड़ी में आते देख परिणीता मुझे एकटक अपनी बड़ी बड़ी आँखों से देखते ही रह गयी थी। मेरा अंदाज़ा सही था। मुझे इस साड़ी में देख कर परिणीता मंत्रमुग्ध थी। मैं बिस्तर में आकर परिणीता के बगल में आकर बैठ गयी। मेरे हाथों की चूड़ियों की खनक कमरे के उस वक़्त को और रोमांटिक बना रही थी। मेरे पति परिणीता ने मेरा हाथ पकड़ा, और मेरे गालों पे हाथ फेरते हुए कहा, “तुम बेहद खूबसूरत लग रही हो।” परिणीता ने मुझे अकेले में पहली बार एक औरत की तरह संबोधित किया। वरना अब तक वह मुझे एक औरत के शरीर में अपने पति प्रतिक के रूप में ही संबोधित कर रही थी।
“खूबसूरत लग रही हो”, यह शब्द सुनकर ही मैं शर्मा गयी और शर्म से अपनी  आँखें झुका ली। परिणीता ने अपने हाथो से मेरे चेहरे को उठाते हुए कहा, “मुझे नहीं पता था कि तुम इतने अच्छे से साड़ी पहनना जानती हो! मैं तो तुम्हारी सुंदरता पे दीवाना हो रहा हूँ।” परिणीता अब न सिर्फ मुझे एक औरत की तरह संबोधित कर रही थी बल्कि खुद भी अब अपने पुरुष रूप को स्वीकार कर रही थी। “आज मुझे समझ आ रहा है कि तुम मेरे लिए यह साड़ी क्यों खरीद कर लायी थी और क्यों मेरे पीछे पड़ी हुई थी कि मैं इसे पहनूँ। पर किस्मत को देखो यह साड़ी शायद तुम्हारे लिए ही बनी थी। सचमुच अद्भुत लग रही हो!”, परिणीता ने आगे कहा। “अब बस भी करो!”, कहते कहते मैं और शर्माने लगी।
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उनकी प्यार भरी बातें सुनकर मैं भावुक होकर उनके गले लग गयी। इस औरत के तन में मेरी भावुकता बेहद बढ़ गयी थी।
“सुनो, मुझे पता नहीं कि कब तक हम दोनों इस नए रूप में रहेंगे। शायद कल सुबह सब पहले की तरह बदल जाए और मैं फिर औरत बन जाऊं। पर जब तक मैं तुम्हारे पति के रूप में हूँ, मैं तुमसे कहना चाहता हूँ कि मैं तुम्हे बेहद प्यार करूंगा। मैं तुम्हे सुरक्षित रखूँगा और तुम्हे कोई परेशानी नहीं होने दूंगा। मैं हर पल तुम्हारा साथ दूंगा।”, परिणीता ने मुझसे बेहद प्यार के साथ कहा। यह सुनकर मैं भावुक हो गयी। मेरे अंदर जो औरत हमेशा से थी, वह भावनात्मक तो थी ही पर स्त्री के शरीर में वह भावुकता बहुत ही बढ़ गयी थी। सच बताऊँ तो मेरे दिल की यही इच्छा थी कि मेरी सुहागरात इसलिए हो कि हम दोनों पति पत्नी एक दुसरे के लिए प्यार अनुभव करे, न कि इसलिए की हमारे जिस्म के हार्मोन हमारे अंदर वासना जगा रहे थे। यही कारण था कि बेहद कामोत्तेजित और उतावली होने के बावजूद मैंने अपनी नाईटी छोड़कर साड़ी पहन कर आने का निर्णय लिया था। मैं जानती थी कि साड़ी में एक औरत एक भारतीय आदमी को सेक्सी तो ज़रूर लगती है पर प्यार भी बहुत जगाती है। कुछ तो जादू है साड़ी में, और आज साड़ी ने अपना काम बखूबी निभाया। मैं भावुक होकर अपने पति के गले लग गयी और कहा, “मैं भी वचन देती हूँ कि एक पत्नी के रूप में मैं अपना तन, मन, धन सब कुछ सिर्फ तुम पर न्योंछावर करूंगी।” उन्होंने भी मुझे गले लगा लिया और फिर मेरे गालो पर प्यार भरा चुम्बन दिया। मेरे चेहरे पर २ बूँद आंसू के साथ मुस्कान भी आ गयी।

वो मुझे कमरे की बड़ी सी खिड़की के पास ले गए। मेरी कमर पर अपना  हाथ फेरते हुए उन्होंने मेरे कानों के पास आकर कहा, “फ़िल्मी डायलॉग है पर तुमसे आज तक किसी ने कहा न होगा। वो चाँद देख रही हो? यदि वह सुन्दर है तो मेरी पत्नी हज़ारो चाँद से भी  ज्यादा खूबसूरत है।” अब यह उनके शब्दों का असर था या उनकी गर्म साँसों का जो मेरी गर्दन पर महसूस हो रही थी, पर मैं फिर थोड़ा शर्मा गयी। तारीफ़ से भी और मेरे जिस्म में जो हो रहा था उसकी वजह से भी। वो मेरी कमर को जैसे छू रहे थे, मेरे अंग अंग में बिजली दौड़ रही थी।उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और कहा,”आओ मेरे साथ”। “कहाँ ले जा रहे हो मुझे?”, मैंने कहा। “मेरे साथ आओ तो सही! पति की बात नहीं मानोगी?”, उन्होंने कहा। “आपकी आज्ञा सर आँखों पर!”, मैंने भी नखरे करते हुए कहा।
“तुम तो बिलकुल नयी नवेली दुल्हन की तरह शर्मा रही हो!”, उन्होंने हँसते हुए कहा। “आखिर मैं नयी नवेली दुल्हन ही हूँ।”, मैंने कहा। वो मेरी ओर देखते रहे। “… और अब तक कुंवारी भी हूँ। यदि आप मेरा इशारा समझ रहे है।”, मैंने कहा और आँखों से नटखट इशारा किया। मेरी बात सुनते ही जैसे उनका खुद पर से वश ख़तम हो गया। उन्होंने झट से मुझे अपनी ओर पलटाया और मेरे नाज़ुक से तन को अपनी मजबूत बांहों में जकड़ लिया। मेरे स्तन और मेरा तन पूरी तरह से उनके आगोश में थे। मैं नज़ाकत के साथ  मुस्कुरा दी। एक औरत के स्तन जब पुरुष के सीने से लगकर दबते है तो जो महसूस होता है वह एक औरत ही समझ सकती है। और मैं बड़ी भाग्यशाली थी कि मुझे इस जन्म में यह मौका मिला। मैं उनकी आँखों में देखती रही और मेरी धड़कने तेज़ हो गयी। मेरी आँखों में देखते हुए उन्होंने आगे बढ़कर मुझे ऐसा चुम्बन दिया जो शायद मेरे जीवन का सबसे लंबा और सबसे नशीला चुम्बन था। उसके बाद तो जैसे मेरे होश ही उड़ गए।  मेरा मुंह खुला रह गया और कुछ पल को यह सोचती रह गयी कि यह क्या अनुभव किया मैंने। यदि औरत के जिस्म में चुम्बन इतना मदहोश करने वाला हो सकता है तो पुरुष रूप में तो मैंने इसका एक तुच्छ सा हिस्सा भी महसूस न किया था।
चुम्बन तो एक शुरुआत थी। उन्होंने फिर मुझे दीवार से टिकाया। मेरे पल्लू को मेरे कंधे से उतारा। उनका औरत के रूप में अपना पुराना अनुभव था जो उन्हें पता था कि मेरे आँचल को उतारने के लिए पिन कहाँ से खोलना है। फिर नीचे झुक कर उन्होंने मेरी नाभि को अपनी उँगलियों से छेड़ना शुरू किया। मेरे कोमल से पेट को वह चूमने लगे। हाय, मैं तो कुछ करने के काबिल ही न बची थी। बस जो हो रहा था उसे ही महसूस करके दीवानी हो रही थी। एक एक चुम्बन से मेरा पेट कांपने लगा। मेरे पेटीकोट और योनि के बेहद करीब चुम रहे थे वो। मैं तो बस आँहें भरती रह गयी। मेरी सांसें इतनी गहरी हो गयी कि मेरे स्तन हर सांस के साथ आगे बढ़ आते, और सांस छूटते ही पीछे हो जाते। बेहद कोशिश करके मैंने आँखें खोली तो कमरे के दूसरी दिवार पर शीशे में खुद को देख सकी। कितनी मादक लग रही थी मैं। मैं सोच रही थी अब वो मेरे पेटीकोट के अंदर हाथ डालकर मेरे पैरों को छूते हुए मुझे और छेड़ेंगे। पर उनका इरादा कुछ और ही था। उन्होंने मुझे फिर से पलट कर अब मेरी पीठ को चूमने लगे। मांसल पीठ पर चुम्बन इतना असर किया कि मेरी मदहोशी बढ़ती ही चली गयी। मैं आँखें बंद कर अपने रोम रोम में महसूस होने वाले रोमांच का अनुभव करने लगी। ऐसा रोमांच की मैं कुछ बोलने की हालत में ही न थी। मैं तो सोच कर आयी थी कि अपने पति को उसके जीवन का सबसे अद्भुत अनुभव दूँगी जो वो कभी भूल न सके पर आज तो मैं खुद ही होश खो चुकी थी। इतनी रोमांचित होने के बाद भी जब उनका लिंग पीछे से मेरे नितम्ब को छूता तो लगता न जाने और कितना ज्यादा उत्तेजित महसूस करूंगी मैं जब वो मेरे तन में प्रवेश करेगा। मैं जानने को आतुर थी पर मुझे यकीन न हो रहा था कि जो मैं महसूस कर रही हूँ, उससे भी ज्यादा आनंद कुछ हो सकता है।
उन्होंने फिर मेरा हाथ पकड़ा, और मेरे कानों को अपने दांतो से कांटते हुए कहा, “आओ हमारी सेज पर चले। आज तुम्हें औरत बनने का ऐसा अनुभव दूंगा जिसे तुम कभी भूल न सकोगी।” किसी तरह अपनी साँसों को संभालते हुए मैं कहा, “इससे ज्यादा भी कुछ और हो सकता है भला? मैं तो… मैं तो.. वैसे ही होश खो चुकी हूँ। मुझे बस अपनी बांहों में ले लो।”
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुरा दिए और बोले,”प्रिये, यह तो सिर्फ शुरुआत है।” इसके साथ थी उन्होंने मुझे फूलों की तरह अपनी मजबूत बांहों में उठा लिया। किसी भी औरत को एक फूलो सी राजकुमारी होने का अहसास होता है जब उसे कोई आदमी अपनी बांहो में उठा लेता है। मुझे भी वही सुन्दर एहसास हुआ। उन्होंने मुझे उठाकर फिर बिस्तर पर लिटा दिया। वो मेरी बगल में आये तो मैंने उठ कर उनके सीने पे हाथ रख कर उन्हें पीछे धकेला और कहा, “जानेमन, अब तुम्हारी बारी है। देखो अब मैं तुम्हारे साथ क्या क्या करती हूँ।” मेरी आँखों में एक नशीलापन था और मेरी मुस्कान कातिलाना थी। उसे देख कर जैसे वो सम्मोहित हो गए और कुछ कर न सके। बड़ी ही मुश्किल से मैंने खुद पर वश किया था और अब मैं परिणीता को दिखाना चाहती थी कि पति होने के क्या फायदे है। आखिर मैं सब कुछ जानती थी कि एक आदमी क्या चाहता है। भले ही मैं एक कुंवारी औरत थी पर मुझे पता था कि मेरे आदमी को क्या चाहिए मुझसे!
सबसे पहले उनकी गोद में चढ़ कर मैंने उनका चेहरा अपने स्तनों के बीच में भर लिया। मुझे पता था कि कोई भी आदमी स्तनों के बीच में सब कुछ भूल जाता है। मदहोश होकर वो मेरे ब्लाउज के ऊपर से ही स्तनों को चूमकर अपने मुंह में लेने की कोशिश करने लगे। मैंने उनका चेहरा ज़ोर से अपने स्तनों पर दबा दिया। उनके हाथ ऊपर बढ़ कर मेरे स्तनों को मसलने लगे। पर हाय, यह क्या? मेरे स्तनों पर उनके हाथ मुझे फिर मदहोश करने लगे। मेरे स्तनों का आकार बढ़ गया, मेरे निप्पल कठोर हो गए। मुझे एह्सास हो रहा था कि मेरे कठोर निप्पल अब मेरी ब्रा से रगड़ रहे है। स्तनों के बढ़ने से ब्लाउज मानो और टाइट हो गया था। मैंने सामने से ब्लाउज के हुक खोल कर ब्लाउज उतरने लगी। ब्लाउज के उतरते ही वो बेकाबू हो गए और मेरी ब्रा भी झट से उतार थी। उन्होंने मेरे बाए स्तन को अपने मुंह में ले लिया और ज़ोरो से चूसने लगे। और अपने एक हाथ से मेरे स्तनों को ज़ोरो से मसलने लगे। मुझे यकीन था कि उन्हें बेहद मज़ा आ रहा है पर मुझे जो स्तन चुस्वाने में आनंद आ रहा था उसकी सीमा न थी। मैंने उनके सर को ज़ोर से अपने स्तन पर दबा कर इशारा किया कि और ज़ोरो से चुसो। उन्होंने वैसे ही किया और एक बार मेरे निप्पल को दांतो से कांट भी दिया। मेरे मुंह से एक आवाज़ निकली जो दर्द की नहीं बल्कि एक परम आनंद की थी। जहाँ मैं यह महसूस कर रही थी वही एक विचार यह भी आ रहा था कि मुझे खुद को काबू कर अपने पति को खुश करना है।
किसी तरह काबू कर मैं फिर अपने पति के सीने को चूमने लगी। मेरे स्तन उनके सीने से दब कर उन्हें उकसाने लगे। मैं धीरे धीरे नीचे सरकती हुई अपने स्तनों से उन्हें हर जगह छू रही थी और उनका लिंग और कठोर और बड़ा होता जा रहा था। पहले वह मेरे स्तनों के बीच आ कर मचलने लगा। तो मैंने उनकी पूरी पैंट और अंडरवियर उतार दी। मेरी आँखों के सामने उनका लिंग तन हुआ था। मैंने उसे हाथों में उसे पकड़ा तो लगा जैसे मेरे नाज़ुक हाथो में वो समा ही न सकेगा। तो मैंने उसे अपने स्तनों के बीच फसा कर छेड़ना शुरू किया। समझ नहीं आ रहा था कि मैं उन्हें छेड़ रही हूँ या खुद को। मेरे होंठ तो जैसे महसूस करना चाहते थे कि उनके  लिंग को चुम कर कैसे लगेगा। और सुबह से कई बार मैंने उनके लिंग को अपने हाथो में पकड़ा था और हर बार मैं उसे चूमना चाहती थी, होंठो के बीच चूसना चाहती थी, पर मैंने अब तक कुछ किया न था।  मैंने उसे फिर अपने हाथो में पकड़ा और उसके बेहद पास आ गयी। परिणीता ने औरत रूप में यह मेरे साथ बहुत कम बार किया था पर जब किया था मैं तो बस पागल हो गई थी। वो बेहद बेचैन हो रहे थे। उन्होंने मुझसे कहा, “तुम मुझे फिर अधर में छोड़ कर न जाओगी न?”। वो आज रात को इसके पहले की बात कर रही थी। मैं मुस्कुरायी और उनके लिंग को अपने होंठो के बीच ले ली। उनके बदन में जैसे आग लग गयी। किसी भी आदमी को उसके लिंग पर औरत के होंठ और उसकी जीभ पागल कर देती है। मैं जानती थी। मैंने अनुभव किया था इसे। पर मैं यह नहीं जानती थी कि चाहे कितना भी मन ललचाये लिंग को चूसने का, मेरा औरत का मुंह उसके लिए बेहद छोटा था, और वो बेहद बड़ा। बड़ा कठिन है उसे अंदर लेना और मैं ज्यादा देर उसे अंदर नहीं ले सकती थी। पर जब भी लिंग के अगले हिस्से पर मैं अपनी जीभ फेरती, उनका तन उत्तेजना से अकड़ जाता। जब भी ज़ोरो से उस गोल हिस्से को चुस्ती उनकी मुट्ठियां भींच जाती। एक आदमी के अनुभव से मैं जानती थी कि यदि मैंने कुछ देर और यह किया तो यह रात यही खत्म हो जायेगी। मेरे पति को अनुभव न था  खुद पे काबू करने का और मैं इस रात को अभी ख़त्म नहीं होने देना चाहती थी। इसलिए मैंने उनके लिंग पर फिर कंडोम चढ़ा दिया।
मेरे यह करते तक जैसे उन्होंने खुद पर काबू कर लिया और मुझे फिर अपनी बांहों में भरते हुए कहा,”अब तुम्हारी बारी।” और उन्होंने अपने लिंग को मेरी योनि पर दबाने लगे। मैं मदहोशी में मुस्कुरा उठी। मेरा औरत के रूप में कुंवारापन ख़त्म होने वाला था। मैं जानने वाली थी औरत होने का पूर्ण  सुख क्या होता है। उन्होंने एक एक कर मेरे मखमली बदन से मेरे कपडे उतारने शुरू किये। अब मैं सिर्फ अपनी पैंटी में थी। और उनकी बांहों में लिपटी हुई थी। हाय, कैसे कहूँ कि कितनी उत्तेजित थी मैं, कितनी उतावली थी मैं इस पल के लिए। उन्होंने अपनी उँगलियों से मेरे तन बदन को छूना शुरू किया, कभी स्तनों को छेड़ा, कभी चूम, कभी मेरी जांघो पर अपने हाथ फेरते और हर बार मेरी योनि के पास पहुँच कर फिर कुछ और करने लगते है। मेरी योनि मचलती जा रही थी वो उसे छुएंगे पर वो मुझे तड़पाये जा रहे थे। मुझे लग रहा था की मेरी पैंटी में मेरी योनि उभर आई होगी, उसमे इतनी आग लगी हुई थी। आखिर काफी देर मुझे तड़पाने के बाद उन्होंने मेरी पैंटी पर अपना हाथ फेरा। सचमुच जैसे मेरी योनि जोश में थोड़ी फूल गयी थी। फिर धीरे से उन्होंने मेरी पैंटी के अंदर हाथ डालकर मेरी योनि के ऊपरी हिस्से को छूना और दबाना शुरू किया। हाय, मैं तो मर ही गयी थी उस एह्सास से। कितना जोश आया था की मैं अपने हो होंठो को कांटने लगी थी। इसके आगे मैं ज्यादा बताऊंगी तो मेरी कहानी के पुरुष पाठकों से रहा न जायेगा और उन्हें अफ़सोस होने लगेगा कि वह पुरुष क्यों है? वह नशीली रात की याद तो आज भी मेरे रोम रोम को उकसा देती है। उस रात फिर कभी मैं उनके ऊपर होती तो कभी वह मेरे ऊपर। जब मैं ऊपर होती थी तो मेरे स्तन जैसे झूमते उसका आनंद ही अलग था। मेरी योनि के अंदर उनका बड़ा सा लिंग और उनके हाथों का मेरे स्तनों को मसलना, इतने सारे एहसास एक साथ अनुभव करना मेरे बस के बाहर था। उस रात उन्माद में जितनी चींखें मेरे मुंह से निकली है और जितने मेरे नाखुनो के खरोंचो के निशान परिणीता की पीठ पर बने थे, वो सबुत थे कि जो शारीरिक सुख एक औरत को मिलता है उसका एक छोटा सा हिस्सा भी पुरुष को नहीं मिलता। औरत बनकर एक और बात मुझे समझ आयी थी कि बड़े से लिंग को पूरा का पूरा अपने अंदर ले लेने का आनंद तो है पर जो आनंद उस लिंग से अपनी योनि के ऊपरी हिस्से को रगड़ कर, दबा कर उकसाने में है, उसकी बात ही अद्भुत है। कभी किसी औरत से पूछ कर देखना! बहुत ही नसीब वाली थी मैं जो मुझे इस जनम में ही पुरुष और औरत दोनों होने का सुख मिल गया था। और यक़ीनन ही औरत होना बेहद ही नज़ाकत भरा और प्यार भरा अनुभव है। एक औरत होने का एहसास कोई पुरुष एक पल के लिए ही कर सके तो भी दुनिया की सभी मुश्किलें ख़त्म हो जाए। क्योंकि जितना प्यार एक औरत के दिल में महसूस होता है, उतना पुरुष नहीं कर सकते। पर शायद इसलिए ही बदले में औरत को शारीरिक सुख भी सर्वोत्तम मिलता है। काश कि आप भी यह अनुभव कर पाते जो मैंने किया!
मैंने औरत बनने का पूर्ण सुख पा लिया था। मैं एक पत्नी बन चुकी थी और अपने पति को भी मैं उस रात अद्भुत सुख दे चुकी थी। पर सैक्स एक औरत के लिए सिर्फ शारीरिक सुख नहीं है, मेरे लिए वह अपने पति से भावनात्मक रूप से जुड़ने में भी मददगार रहा। हम दो जिस्म में एक जान हो गए थे। क्योंकि हम दोनों एक दुसरे के शरीर को जानते थे, हमारी सुहागरात सचमुच यादगार हो गयी क्योंकि हम जानते थे कि एक दुसरे को इस रात में क्या देना है। हम उस रात को दुसरे से कुछ लेने नहीं बल्कि अपना सब कुछ दुसरे पर न्योंछावर करने को तैयार थे। हमारे तन बदलने के पहले हम शायद यह कभी न कर पाते। पर सैक्स करने के बाद जब होश आता है तो आपका दिमाग फिर दूसरी बातें भी सोचने लगता है। मेरा भी दिमाग सोच रहा था कुछ।
आज से पहले जब मैं आदमी थी, एक क्रोसड्रेसर थी, मैं सुहागरात में पत्नी बनने के सपने तो ज़रूर देखा करती थी पर मेरे उन सपनो में हमेशा एक और औरत होती थी। एक पुरुष से शारीरिक सम्बन्ध के बारे में मैंने कभी न सोचा था। फिर आज मैं निःसंकोच एक पुरुष से प्रेम कैसे कर पायी? और मेरे पति परिणीता ने भी एक स्त्री से कैसे प्रेम किया? क्या यह मेरे नए शरीर के हॉर्मोन का असर था? या इस बात का कि चाहे जो भी हो, मैं परिणीता से प्रेम करती थी, भले वो पुरुष रूप में हो या स्त्री रूप में? या इस बात का असर था कि मैं जिस जिस्म में थी, उस जिस्म के दिमाग में यादें और भावनाएं परिणीता की थी, जो मेरे पुरुष रूप से प्यार करती थी, जो एक पुरुष को प्यार करती थी? शायद इसलिए अब मैं एक ही जिस्म में प्रतीक और परिणीता दोनों बन चुकी थी? क्या यही चीज़ परिणीता के साथ भी हो रही थी? हम दोनों सचमुच में एक दुसरे को समझ पाने वाले पति-पत्नी बनकर एक हो रहे थे। पर ये रात इन सवालों के बारे में सोचने के लिए न थी। इस सुहानी रात को मैं अपने पति की आगोश में समा कर बस एक पत्नी बन कर सुख ले रही थी। हमारे जीवन में उस सुबह इतना बड़ा बदलाव आया था फिर भी मैं इतनी जल्दी संतुष्ट थी, निश्चिन्त थी। क्योंकि मुझे पता था कि मेरे पति के होते हुए मुझे चिंता की कोई ज़रुरत नहीं है।
अगली सुबह

मैं बिस्तर से उठ खड़ी हुई। मेरे तन पर एक भी कपड़ा न था। उनकी नज़रे मेरे नग्न शरीर पर पड़ी तो मुझे शर्म सी महसूस होने लगी। मैंने झट से ब्रा, पैंटी, पेटीकोट, ब्लाउज और साड़ी पहन ली। परिणीता को यकीन नहीं हुआ कि मैं २ मिनट में ही साड़ी पहन सकती थी। सुहागरात के बाद का पहला दिन था। मैं एक अच्छी पत्नी की तरह किचन की ओर बढ़ने लगी। वहां सुबह सुबह अपने प्यारे पतिदेव के लिए दूध गर्म की और उनके लिए दूध का गिलास लेकर आयी। इसके बाद मैं उनके लिए थोड़ा नाश्ता बनाना चाहती थी। पर वो थे कि मेरा हाथ ही न छोड़ रहे थे। मुझे अपनी बगल से जाने न दे रहे थे। तो मैंने उनके कानों में कहा कि यदि आप मुझे नाश्ता बनाने दोगे तो मैं आपको अपने हाथो से नहलाऊंगी। दुनिया का कोई भी पति इस ऑफर को मना  नहीं कर सकता! और खासतौर पर नयी नवेली पत्नी हो जिसके मेरी तरह घने लंबे बाल हो, जिसने सुन्दर सी साड़ी पहन रखी हो, और जिसकी कमर सेक्सी हो। हाँ, मुझे अपनी खूबसूरती पर बड़ा नाज़ महसूस हो रहा था। कहते है कि खूबसूरती देखने वालो की आँखों मे होती है। सच ही कहते है क्योंकि मेरे पतिदेव की आँखों में प्यार का ही असर था जिसकी वजह से मैं  खुद को बेहद खूबसूरत महसूस कर रही थी। मैं ख़ुशी ख़ुशी किचन चल दी अपने पति की सेवा के लिए।मैं जल्दी ही हल्का सा नाश्ता बनाकर वापस आयी। और अपने वादे  के अनुसार उन्हें अपने हाँथो से नहलायी। रोज़ रोज़ यह कर सकूंगी या नहीं यह मुझे पता न था पर आज मुझे बेहद ख़ुशी मिल रही थी यह सब करते, एक अच्छी पत्नी होने का काम करते। नहाने के बाद उनके पहनने के लिए कपडे निकालने थे।  उनसे ज्यादा उनके कपड़ो की समझ मुझे थी क्योंकि कल तक वह सभी कपडे मेरे थे। तो मैंने खुद चुनकर उनके लिए कपडे निकाल कर रख दिए थे जो वो आज पहनेंगे। और मैं खुद नहाने को चल दी। और जब तक मैं नहाकर निकली तो वो तैयार थे।अगली सुबह आदतन मेरी आँखें अँधेरे में ही ५ बजे खुल गयी। एक संतुष्ट सुहानी रात के बाद पति की बांहों में बढ़िया नींद के बाद सुबह सुबह चेहरे पर मुस्कान होना स्वाभाविक है। पर मन में पहला सवाल यह भी आया कि क्या आज सुबह मैं वापस पुरुष बन जगी हूँ। पर मेरे नग्न स्तनों ने मुझे मेरा जवाब दे दिया। हम पति-पत्नी अब भी अपने नए रूप में थे। पर आज हम दोनों को हॉस्पिटल जाकर अपनी डॉक्टर होने की ड्यूटी करनी थी, हमें पूरे दिन दुनिया से नए रूप में मिलना था। मन में थोड़ा डर तो था पर अपने सामने अपनी पति को देख कर विश्वास हो रहा था कि सब ठीक ही होगा। परिणीता की आँखें भी खुल चुकी थी। मैंने उनहे देखकर सुबह का एक प्यारा चुम्बन होंठो पर दिया। किसी भी पति का दिन बन जाता है जब मुस्कुराती हुई पत्नी सुबह सुबह उसे प्यार से चूमे। “इस दुनिया से आज नए रूप में मिलने को तैयार हो जानू?”, मैंने कहा। उसने मुस्कुरा कर कहा, “हाँ। हम दोनों ही एक ही स्पेशलिटी के डॉक्टर है तो मुझे तुम्हारा काम करने में और तुम्हे मेरा काम करने में मुश्किल नहीं होनी चाहिए।”
उन्होंने मेरे लिए हॉस्पिटल जाने के कपड़ो के अलावा सही ब्रा पैंटी, पेंटीहोज और सैंडल भी निकाल रखी थी। एक दुसरे को समझने वाले ऐसे पति-पत्नी बेहद कम होते है। उन्होंने मुझे मेरे बालो को हेयर स्ट्रेटनर से सीधे कैसे करना है सिखाया, थोड़ी हेयर स्टाइल के बारे में बताया कि काम पर कैसी हेयर स्टाइल सुविधाजनक होगी। अपने हाथो से उन्होंने मेरा जूड़ा भी बनाया। जब मैं ड्रेस पहनने लगी तो उन्होंने आकर पीठ पर चेन चढाने में भी मदद की। और फिर उन्होंने बताया कि जो ड्रेस मैंने पहनी है उसमे कौनसी लिपस्टिक अच्छी लगेगी। मैंने लिपस्टिक लगा कर उनसे पूछा, “मैं कैसी लग रही हूँ?”। उन्होंने मेरी ओर देखा और बोले, “तुम तो परी लग रही हो, बस लिपस्टिक थोड़ी ज्यादा हो गयी है। आओ मैं उसे ठीक कर दू।” और ऐसा कहकर उन्होंने मुझे होंठो पे किस कर दिया। तो उनका ये तरीका था मेरी लिपस्टिक ठीक करने का।  मैंने नखरे दिखाते हुए उन्हें कहा, “जाओ, चलो हटो यहाँ से। मुझे तैयार होने दो।” औरत को तैयार होने में बड़ा समय लग सकता है, और मैं तो फिर भी नौसिखिया था। पर पति की इतनी सहायता से मुझे लगा कि उन्होंने मेरी कितनी मुश्किलें आसान कर दी। मैं खुद को दुनिया की सबसे भाग्यशाली पत्नी मान रही थी। और परिणीता भी खुद को सबसे भाग्यशाली पति। हम दोनों अब दुनिया का सामना करने को तैयार थे।

मेरी कहानी में अब भी बहुत कुछ बाकी है। सिर्फ शारीरिक सुख ही औरत बनने के लिए काफी नहीं होता। और भी बहुत कुछ हुआ था मेरे जीवन में इसके बाद, जिसके बारे में मैं लिखती रहूंगी। पर आप पाठको से निवेदन है कि कृपया फेसबुक पर मुझे लाइक और शेयर ज़रूर करे। आपके शेयर के बिना मेरी कहानी सिर्फ ८-१० लोगो तक पहुँचती है, पर आपका एक शेयर मेरी कहानी को ४० और लोगो तक ले जाता है। आपके प्रोत्साहन के बिना मैं ज्यादा दिनों तक कहानी न लिख सकूंगी। तो प्लीज शेयर करे। मेरा फेसबुक पेज का लिंक आपको निचे मिल जाएगा।

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कमरे में एक कैलेंडर टंगा हुआ था जिसमे साल १९९५ लिखा हुआ था| उस कमरे में किसी की हलचल की आवाज़ आ रही थी| वो लड़का बेहद गहरी नींद में था पर आवाज़ सुन उसकी नींद खुल गयी और वो बहुत घबरा गया| मम्मी पापा तो अगले दो दिन के लिए शहर से बाहर थे| तो कौन हो सकता था? सबसे ज्यादा डर तो उसे पकड़े जाने का था| किसी तरह हिम्मत करके उसने अपनी चादर से बाहर झाँका| एक ३५-४० साल की औरत उसके बिस्तर के सामने एक कुर्सी पे बैठी गृहशोभा मैगज़ीन के पन्ने पलट रही थी| उसने अपनी टाँगे एक पर एक रखी हुई थी जिस पर उसकी साड़ी की प्लेट उसकी कमर से होती हुई नीचे किसी फूल की तरह खिल कर खुल रही थी| उसने काफी ऊँची हील की सैंडल पहन कर रखी थी| ज़रूर कोई बाहर से आई है| लड़के ने सोचा क्योंकि उसके घर में किसी के पास भी ऐसी सैंडल नहीं थी| किसी भी १४ साल के लड़के को ऐसी औरत बेहद आकर्षक लग सकती है, उस लड़के को भी लगी| चादर से झांकते हुए उस औरत ने लड़के को  देख लिया था| आज तो वो पक्का पकड़ा जायेगा| एक अनजान ३५-४० वर्षीया औरत उस लड़के के बिस्तर के पास बैठी हुई थी| कोई भी १४ वर्ष का लड़का उनकी तरफ आकर्षित हो जाता| “तो तुम्हे औरतों की किताबें प...

Neha Bhabhi

“Oh my dear brother-in-law! Look how tall you have grown”, said my dear sister-in-law Neha, or Neha  bhabhi (sister-in-law) , as I used to call her. She hugged me, and I hugged her back as soon as I reached her home. Neha  bhabhi  was a sexy woman, the kind of woman people fancy about and write those special kind of stories. Beautiful face, slim figure, big bosom, long hair, she had it all. Today, she was wearing a green colored saree, with a light brown border. She had a mesmerizing effect on me as I looked at my sexy bhabhi in that matching blouse with short sleeves.  I could feel her soft breasts pressing against me, and I didn’t wanna release her from my hug yet. But she was my sister-in-law, I guess I should respect her, I thought. After completion of my Class 10 exams, I had decided to visit my elder brother Tanuj and his wife Neha at their home. Tanuj had come to pick me up at the station, and we had just arrived at his home. I loved spending my summer vaca...