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Showing posts from August, 2017

The daughter who never was

यह कहानी है सोनू की जिसे मजबूरी में एक स्त्री का जीवन जीना पड़ता है. यह कहानी सोनू और उसके बहनों, माँ और प्रेमियों के साथ उसके रिश्तो को बयान करती है. थोड़ी भावुक पर प्यार की यह कहानी पढ़ कर बताये आपको कैसी लगी. भाग १: दीदी से मुलाकात भाग २: मैं बेटी कैसे बनी भाग ३: शर्मिंदगी का अहसास भाग ४: घर में आखिरी साल भाग ५: शीघ्र आएगा

बेटी जो थी नहीं - ४

स्कूल का वो दिन मैं सोना चाहती हूँ पर अब भी नींद नहीं आ रही है. बिस्तर पे करवट बदलते रात के ११ बज चुके है. और आँखों में अब भी स्कूल का वो दिन याद आ रहा है जिस दिन मुझे पता चला था कि अखिल मेरे दोहरे जीवन का  राज़ जान चूका है. बड़ी बेचैन थी उस दिन मैं. होती भी क्यों नहीं? अखिल ने यदि सभी को मेरे बारे में बता दिया तो स्कूल में भी मेरा जीना मुश्किल हो जाता. उस दिन सड़क पर बीच में अकेले खड़ी खड़ी मैं अखिल को जाते हुए देखते रह गयी. अब मेरे पास बस एक ही रास्ता बचा था यह देखने का कि अब स्कूल में आगे क्या होता है. मैं घर से गीता के लिए खाना बनाने के बाद कपडे बदल कर लड़के के रूप में स्कूल के लिए निकल गयी. नर्वस तो मैं बहुत थी. सोच रही थी कि आखिर क्यों अपनी बेईज्ज़ती कराने स्कूल जा रही हूँ मैं? मेरे मन में बस यही विचार आ रहा था कि स्कूल पहुँचते ही अखिल अपने दोस्तों के साथ मेरा मज़ाक उड़ाने के लिए तैयार होगा. इसी सोच में मैं स्कूल पहुँच कर अपने क्लास की ओर बढ़ने लगी कि कभी भी मुझ पर हँसने वाले लोग मिल सकते है मुझे. क्लास की ओर बढ़ता एक एक कदम किसी टार्चर से कम नहीं था. पर जब क्लास पहुंची तो व...

बेटी जो थी नहीं - ३

शर्मिंदगी मुझे अब भी नींद नहीं आ रही है. शिखा दीदी के घर के इस कमरे में दीवार में टंगी एक तस्वीर की ओर देख रही हूँ. दीदी के शादी के दिन की तस्वीर है जिसमे मैं, मधु दीदी और शिखा दीदी एक साथ है. हम तीनो बहने उस दिन बेहद खुबसूरत लग रही थी, और कितनी खुश भी थी हम तीनो उस दिन. शिखा दीदी ने मुझे जो मैक्सी पहनने को दी है, वो बेहद मुलायम और आरामदायक है फिर भी कुछ कमी लग रही है. मैं जानती हूँ कि उस मैक्सी में मुझे क्या परेशान कर रहा है. मैंने सालो से अपने पैरो को वैक्स नहीं किया है. कल सुबह उठते ही दीदी से वैक्सिंग करने के लिए कहूँगी. पर इस वक़्त मुझे सोना चाहिए इससे पहले की बहुत देर हो जाए. पर कैसे सोऊं? मेरे मन में अब भी सभी पुरानी बाते याद आ रही है. मुझे आज भी वो पल याद आता है. मैं शिखा दीदी के साथ उनके कमरे में हँसते हुए बातें कर रही थी. जब से मेरी माँ गीता ने मुझे लड़की का जीवन जीने मजबूर की थी, मेरा घर से बाहर निकलना लगभग बंद सा हो गया था. मैं अब किसी से मिलती भी नहीं थी. स्कूल से आते ही बस गीता की घर के काम करने में मदद करती थी. मैं नहीं चाहती थी कि बाहर का कोई मुझे लड़की के रूप में द...

बेटी जो थी नहीं - २

आँखें बंद करती हूँ तो पुरानी यादो की तसवीरें जेहन में दिखने लगती है. कुछ अच्छे पल भी याद आते है कि कैसे मैं और शिखा दीदी हँसते खेलते घंटो बाते किया करती थी, कैसे जीजू के साथ मैं उनकी प्यारी साली बनकर उनको परेशान किया करती थी. पर वो पल भी याद आते है जो उतने अच्छे न थे.. आज भी अच्छे से याद है कैसे बाहर की दुनिया में लड़की बनकर मुझे शर्मिंदगी महसूस करनी पड़ी थी. आज भी याद आता है कि कैसे स्कूल के लड़के मुझे घेर कर छेड़ रहे थे और मुझ पर हँस रहे थे. याद आता है कि कैसे एक लड़के ने मेरे अंगो को मेरी साड़ी के अन्दर हाथ डालकर मुझे छुआ था और… और गीता की दी हुई उलाहना! मेरे परिवार में मेरी शिखा दीदी के अलावा एक और बड़ी बहन थी मधु जो शिखा दीदी से २ साल छोटी थी.  मेरी माँ की नजरो में मैं एक दुलारा बेटा था. माँ कहती है कि मेरे पिताजी बड़े शराबी थे और कभी परिवार का ध्यान नहीं रखते थे. वो काफी पहले ही हमें छोड़कर चले गए थे और उनकी बस धुंधली तस्वीर है मेरे मन में. मेरी दूसरी बहन मधु और मेरे बीच हमेशा खटपट होती थी. उसका कारण यह था कि मधु को पसंद नहीं था कि मैं माँ का सबसे दुलारा था और मुझे सबसे ज्यादा लाड ...